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Animal Husbandry: जूनोसिस बीमारी पर काबू पाने को सरकार की क्या है वन हैल्थ मिशन योजना, जानिए

Zoonosis, zoonotic diseases are very dangerous, One Health Mission is being run.
बकरे का प्रतीकात्मक फोटो. Livestock animal news

नई दिल्ली. क्या आप जूनोसिस और जूनोटिक के बारे में जानते हैं. ये कैसे फैलती है और क्या ये पशुओं से मनुष्य में भी आ सकती है. अगर आप इन सबके बारे में नहीं जानते तो हम आपको बताते हैं. डब्ल्यूएचओ के अनुसार जूनोसिस एक संक्रामक बीमारी है जो गैर-मानव जानवर से मनुष्यों में फैलती है. इस बीमारी पर काबू पाने के लिए पशुपालन मंत्रालय वन हैल्थ मिशन जागरुकता माह मना रहा है. इस मिशन के साथ हृयूमन हैल्थ को भी जोड़ा गया है.मंत्रालय ने वन हैल्थ मिशन जागरुकता माह के तहत सभी से अपील की है कि वे इस बीमारी से बचें. मंत्रालय ने ये अपील सिर्फ पशुपालकों के लिए ही नहीं बल्कि आम लोगों के लिए भी की है. इतना ही नहीं दोनों के लिए कुछ टिप्सी भी जारी किए गए हैं, जो लोगों लिए लाभकारी भी होंगे, ताकि इंसान और पशु दोनों को ही गंभीर बीमारियों से बचाया जा सके.

बहुत ही खतरनाक है ये बीमारी
जूनोटिक रोगजनक बैक्टीरिया, वायरल या परजीवी हो सकते हैं, ये सीधे संपर्क या भोजन, पानी या पर्यावरण के माध्यम से मनुष्यों में फैल सकते हैं. कृषि में, साथी के रूप में और प्राकृतिक वातावरण में जानवरों के साथ हमारे घनिष्ठ संबंध के कारण वे दुनिया भर में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या का प्रतिनिधित्व करते हैं. जूनोज भोजन और अन्य उपयोगों के लिए पशु उत्पादों के उत्पादन और व्यापार में भी व्यवधान पैदा कर सकता है. एनीमल एक्सपर्ट डॉक्टर मनोज कुमार शर्मा के अनुसार अगर कोई भी पशु पालक साइंटफिक तरीके से पशुपालन करेगा तो पशुओं के साथ ही इंसानों को भी इस बीमारी से बचाया सकता है. स्टडी बताती है कि इंसानों को 70 से 75 फीसदी बीमारियां पशुओं से लगती हैं, जिन्हें हम जूनोसिस या जूनोटिक कहते हैं. हम आज तक अपने पुराने तौर-तरीके अपनाकर पशुपालन करते आ रहे हैं. जबकि क्लाइमेट चेंज के चलते अब बहुत बड़ा बदलाव आ चुका है.

पशुपालन मंत्रालय ने की है ये अपील
केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि ये बीमारी पशुओं से इंसानों में आती है. पशुओं से इंसानों में होने वालीं जूनोसिस या जूनोटिक बीमारियां ज्यादातर कीट-पतंगों से होती हैं. इसमें सबसे बड़ा रोल मच्छर का है. इसलिए लोगों को फुल स्लीव के कपड़े पहनना चाहिए. अपने आसपास गंदगी न होने दें. अगर घर में किसी भी तरह का पशु या पक्षी है तो उसे हाथ लगाने से पहले और उसके बाद अपने हाथों को सेनेटाइज जरूर करें.

पशुपालकों के लिए जारी किए ये टिप्स
पशुपालन मंत्रालय की मानें तो वन हैल्थ मिशन के तहत एनीमन फार्म पर बॉयो सिक्योरिटी बेहद आवश्यक है. बायो सिक्योरिटी प्लान के तहत सबसे पहले अपने फार्म की बाउंड्री या बाड़ेबंदी कर दें.सड़क पर घूमने वाला कोई भी जानवर फार्म में न घुसे. पशुपालक अपने फार्म के अंदर और बाहर दवा का छिड़काव जरूर करें. इसके अलावा अगर कोई आदमी बाहर से फार्म में प्रवेश कर रहा है तो उनके जूते बाहर ही उतरवा दें. इतना ही नहीं आने वाले के हाथ और कपड़ों को भी सेनेटाइज करवाएं. अगर जितना हो सके तो आदमी को पीपीई किट पहनाकर ही फार्म के अंदर आने दें. अगर फार्म में कोई नया पशु आए तो उसे कम से कम 15 दिन के लिए पहले से फार्म में मौजूद पशुओं से अलग रखें. छोटे बच्चे, बीमार पशु, गर्भवती पशु, हेल्दी पशु, दूध देने वाले पशुओं को अलग-अलग रखें.

पशुओं से इंसानों में आने वाली बीमारी
एनिमल हैल्थ एक्सपर्ट की मानें तो कोविड, स्वाइन फ्लू, एशियन फ्लू, इबोला, जीका वायरस, एवियन इंफ्लूंजा समेत कई महामारी हैं जो पशु-पक्षियों से इंसानों में आई हैं. हालांकि एक रिपोर्ट की मानें तो 1.7 मिलियन वायरस जंगल में फैले होते हैं. इसमे से बहुत सारे ऐसे हैं जो जूनोटिक हैं. जूनोटिक वो होते हैं जो पशु-पक्षियों से इंसान में फैलते हैं. जूनोटिक के ही दुनिया में हर साल एक बिलियन केस सामने आते हैं और इससे एक मिलियन मौत हो जाती हैं. लेकिन अब वर्ल्ड लेवल पर इस पर काबू पाने की कवायद शुरू हो गई है. भारत में भी नेशनल वन हैल्थ मिशन (एनओएचएम) के नाम से एक अभियान शुरू किया गया है.

महत्वपूर्ण तथ्यों
जूनोसिस कोई भी बीमारी या संक्रमण है जो प्राकृतिक रूप से कशेरुक जानवरों से मनुष्यों में फैलता है.
जूनोज के 200 से अधिक ज्ञात प्रकार हैं.
मनुष्यों में नई और मौजूदा बीमारियों का एक बड़ा प्रतिशत जूनोज से संबंधित है.
कुछ जूनोज, जैसे रेबीज, टीकाकरण और अन्य तरीकों से 100% रोकथाम योग्य हैं.

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