Home पशुपालन Animal Husbandry: पशुओं के लिए क्यों जानलेवा है ठंड, क्या-क्या होती हैं दिक्कतें, पढ़ें यहां
पशुपालन

Animal Husbandry: पशुओं के लिए क्यों जानलेवा है ठंड, क्या-क्या होती हैं दिक्कतें, पढ़ें यहां

livestock
प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. जैसे-जैसे दिसंबर का महीना आगे बढ़ रहा है ठंड अपना रंग दिखा रही है. ठंड से जहां आम इंसान परेशान हैं तो वही पशुओं को भी इससे खूब परेशानी होती है. एक्सपर्ट तो ठंड को पशुओं के लिए जानलेवा तक बताते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर ठंड के दौरान पशुओं की सही तरह से देखभाल न की जाए तो इससे उनकी मौत भी हो सकती है. वहीं ठंड पशुओं की ग्रोथ और उत्पादन क्षमता को भी प्रभावित करती है. इसलिए जरूरी है कि पशुओं को हर तरह से ठंड से बचाया जाए.

एक्सपर्ट के मुताबिक ठंड गोवंश के मुकाबले भैंस, बकरियों और सभी तरह के पशुओं के नवजात बच्चों को प्रभावित करती है. ये ठंड के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं. इसलिए इनका ख्याल रखना ज्यादा जरूरी होता है. बचाव के लिए परंपरागत तरीकों के अलावा आहार की ऊर्जा भी बढ़ाने की जरूरत होती है.

ठंड में होती है ये परेशानियां
एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि शरीर का तापमान बनाए रखने के लिए पशुओं में हार्मोन (थाइरोक्सिन) ज्यादा डिसचार्ज होता है. जिससे प्रभावित पशु की मेटाबॉलिज्म प्रक्रिया बढ़ जाती है. उनकी ऊर्जा तेजी के साथ घटती है. इससे पशु की ग्रोथ और उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है. कमजोर होने से प्रभावित पशु कई बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं. आमतौर पर पशुओं को सर्दी-जुकाम, निमोनिया और लैंगराइटिस नाम की बीमारी हो जाती है.

इस वजह से हो जाती है मौत
इतना ही नहीं हाइपोथर्मिया के शिकार पशु के कान नाक व अंडकोष बर्फ जैसे ठंडे हो जाते हैं. उनकी सांस व दिल की धड़कन कम हो जाती है. कई बार पशु बेहोश होकर मर सकते हैं. वहीं पशुओं की स्किन पर भी इसका बुरा असर पड़ता है. पशु सुस्त पड़ जाते हैं. अक्सर उनके बाल खड़े रहते हैं. शरीर सिकुड़ जाता है. खाना भी बंद कर देते हैं. नाक से पानी गिरता है. कोल्ड डायरिया के कारण डिहाइड्रेशन से भी पशुओं की मौत हो जाती है.

ठंड से बचाने के लिये करें ये काम
पशु को ठंड से बचाने के लिए बंद स्थान पर रखना चाहिए. ठंडी हवा से बचाव के लिए दरवाजे को फूस या बोरे से ढकना बेहतर होता है. जमीन पर पुआल या पत्तियां बिछा देना चाहिए और इनको बदलते रहना चाहिए. बाड़े में अगर हो सके तो अलाव की व्यवस्था कर दें लेकिन यह भी ध्यान देना चाहिए कि धुआं न भरने पाए. वहीं अलाव के जलने से मच्छर—कीड़े आदि भी मर जाते हैं. यह भी एक फायदा होता है अलाव जलाने का. पशु घर की सफाई करते रहें और हफ्ते में एक बार बड़े को फिनायल और उनके बर्तन को पोटेशियम परमैग्नेट से जरूर धोएं.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

आवारा पशुओं के पुनर्वास के लिए गौशालाओं को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने प्रत्येक जिले के लिए विशेष गौ संरक्षण कार्य बल (एससीपीटीएफ) और एक राज्य स्तरीय विशेष गौ संरक्षण कार्य बल समिति का गठन किया है.
पशुपालन

Animal Husbandry: इस राज्य में गायों के चारे पर 5 साल में खर्च हुए 284 करोड़ रुपये

आवारा पशुओं के पुनर्वास के लिए गौशालाओं को प्रोत्साहित करने के लिए...