नई दिल्ली. अक्सर शहरों और यहां तक कस्बों और ग्रामीण इलाकों में भी लोग पॉलीथिन या पलास्टिक को इस्तेमाल करने के बाद फेंक देते हैं. कई बार उसमें कुछ खाने वाला सामान भी रहता है, जिसकी वजह से पशु उसे खा लेते हैं. जिससे पशुओं को नुकसान होता है. बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग (Department of Animal and Fisheries Resources) की तरफ से पशुओं के पॉलीथिन खाने से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को जागरुक किया जा रहा है. विभाग की तरफ से कहा गया है कि अक्सर बचे हुए भोजन, फल, सब्जियों के पत्ते एवं अन्य किचेन वेस्ट को पॉलीथिन के थैले में बांधकर कूड़ेदान या सड़क के किनारे फेंक दिया जाता है.
पशु द्वारा खाद्य एवं अखाद्य पदार्थों को अलग नहीं कर पाते और इसे खा जाते हैं. इसकी वजह पॉलीथिन का चिकना और स्वादरहित होना है. जिससे पशु आसानी से अन्य खाद्य सामग्रियों के साथ इसे भी निगल लेते है.
क्या होता है नुकसान
पॉलीथिन पशुओं के पेट या आंत में जाकर धीरे-धीरे जमा हो जाती है. वहीं कड़ी गेंद या रस्से का रूप ले लेती है.
जिससे पशुओं को पाचन संबंधी समस्याएं जैसे भूख न लगना, दस्त, गैस (अफरा) एवं पेट दर्द की समस्याएँ उत्पन्न होने लगती है.
पॉलीथिन पशुओं के लिए साइलेन्ट किलर (Silent Killer) के रूप में कार्य करता है. जिससे पशुपालक को नुकसान होता है.
उपचार क्या है
अन्य बीमारियों की तरह इसका कोई दवा, सूई, गोली या अन्य आदि चीजों से उपचार नहीं किया जा सकता है.
पॉलीथिन और इसके साथ अन्य सामग्रियों को ऑपरेशन के द्वारा पेट से निकालना ही इसका एकमात्र इलाज होता है.
सुझाव क्या है
हमें अपने चारों तरफ पॉलीथिन मुक्त समाज बनाने की जरूरत है. खाद्य पदार्थों, हरी सब्जी के छिलके आदि को पोलिथीन में बंद कर सडक किनारे, रेल पटरी के किनारे या खेत-खलिहान, नदी-तालाब में या उनके किनारे नहीं फेंकना चाहिए.
पॉलीथिन के कैरी बैग एवं लिफाफे पर कानूनी रूप से लगाए गए प्रतिबंध का पालन किया जाना घाहिए. इस तरह पोलिथीन मुक्त समाज बनाकर हम अपने पशुधन के स्वास्थ्य की रक्षा कर पाएंगे और पशुधन विकास के साथ नए भारत का निर्माण कर पाएंगे.
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