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Milk Production: बिहार के पशुपालकों की परेशानी को दूर करेगी गाय-भैंस की ये खुराक, बढ़ जाएगा दूध

सामान्य तौर पर गाय ढाई से 3 वर्ष में और भैंस तीन से चार वर्ष की आयु में प्रजनन योग्य हो जाती हैं. प्रजनन काल में पशु 21 दिनों के अंतराल के बाद गाभिन करा देना चाहिए.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. चाहे पशुपालन हो या फिर मुर्गी पालन दोनों में ही आहार की अहमियत ज्यादा होती है. जबकि आहार में सबसे ज्यादा मिनरल्स की जरूरत होती है. क्योंकि पशुओं का शारीरिक और मानसिक विकास दोनों ही बेहद जरूरी होता है. बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के मुताबिक मिनरल मिक्सचर पशुओं के लिए बेहद जरूरी होता है. पशुओं को खिलाने से उनका उत्पादन बढ़ता है. उनकी सेहत अच्छी रहती है. बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय पटना के प्रोफेसर डॉ. पंकज कुमार सिंह ने बताया कि यूनिवर्सिटी ने बिहार के पशुओं की सेहत को ख्याल में रखते हुए मिनरल मिक्सचर बनाया गया है. जिससे दूध उत्पादन बढ़ जाएगा.

उन्होंने बताया कि मिनरल मिक्सचर को बनाने में इस बात का ध्यान दिया गया है कि बिहार में किन-किन चीजों की कमी है, किन चीजों की ज्यादती होती है. पशुओं को क्या जरूरत है, इसको ध्यान में रखते हुए मिनरल मिक्सर को बनाया गया है. उन्होंने बताया कि इस मिनरल मिक्सर को बसुमिन नाम दिया गया है.

क्यों दिया जाता है मिनरल मिक्सचर
डॉ. पंकज कुमार सिंह का कहना है कि मिनरल मिक्सर हमारे पशु पक्षियों के लिए बेहद जरूरी होते हैं. चाहे उत्पादन हो, चाहे स्वस्थ हो या प्रजनन हो. सब में इसकी जरूरत होती है. कई बार मिनरल मिक्सचर की जरूरत कम पड़ती है. क्योंकि आहार के जरिए उसकी पूर्ति हो जाती है लेकिन जब आहार के जरिए इसकी पूर्ति नहीं हो पाती तब पशुओं को मिनरल​ मिक्सचर देना बेहद जरूरी होता है.

कमी को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है
उन्होंने बताया कि मिनरल पशुओं को मिट्टी के जारी मिलता है. मिट्टी में चारा फसल लगाई जाती है और फिर जो फसल के जरिए पशुओं को मिलना मिलता है. अगर जमीन में ही किसी चीज की कमी रह जाती है तो वह पौधे में भी रह जाएगी. खासतौर पर बिहार में यह देखा गया कि फास्फोरस की कमी है. जिंक की कमी है, कॉपर की कमी है लेकिन यहां पर आयरन की अधिकता है. इन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय ने मिनरल मिक्सचर को तैयार किया है.

बाजार के मिनरल मिक्सचर से है ये अलग
उन्होंने यह भी बताया कि अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह के मिनरल्स की समस्याएं हैं जो कमी हो रही है, उसको कैसे पूरा किया जाए इसी को ध्यान रखते हुए मिनरल मिक्सचर तैयार किया गया है. उन्होंने बताया कि बाजार में मिलने वाले तमाम मिनरल मिक्सचर से यूनिवर्सिटी द्वारा बनाए गए मिक्सचर में काफी फर्क है, जो बाजार में मिलने वाले मिक्सचर हैं उन्हें पूरे देश को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. जबकि यूनिवर्सिटी की ओर से बनाया मिनरल मिक्सचर बिहार में जो कमियां हैं, उसको ध्यान रखते हुए बनाया गया है. इसलिए इसमें फास्फोरस और जिंक कॉपर जैसी मिनरल्स को ध्यान में रखा गया है, जिन चीजों की अधिकता है उसमें कमी की गई है.

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