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Animal Husbandry: इन 8 तरह से लगती है पशुओं को चोट, यहां पढ़ें कैसे किया जाता है इलाज

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प्रतीकात्मक फोटो:

नई दिल्ली. पशुओं को चोट लगना बड़ी ही सामान्य सी बात है. हालांकि इसमें घबराने की जरूरत है लेकिन आपको इन जख्मों का इलाज करना आना चाहिए. अगर पशुओं की चोट को बांटे तो 8 तरीकों से लग सकती है. शारीरिक चोट गिरने लग जाती है. लड़ाई करने या टकराने से भी पशु घायल हो जाते हैं. ये चोट मामूली जख्म के रूप में भी हो सकती है. इसके अलावा कई बार हड्डियां भी टूट जाती हैं. इसलिए समय पर इन चोंटों का इलाज करना बेहद जरूरी है. चोट का इलाज न करने पर भी पशुओं के प्रोडक्शन और उसकी सेहत पर सीधा असर पड़ता है.

यहां इस आर्टिकल में हम इन्हीं 8 तरीाकों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे चोट लगती है और उसका इलाज किस तरह से किया जाता है. आइए इस बारे में डिटेल से जानते हैं.

  1. ब्लीडिंग की समस्या पशुओं को हो जाती है. सेल्स की ब्लीडिंग थक्का बनने से जल्दी रूक जाती है लेकिन अन्य ब्लीडिंग व घाव के ऊपर पैड और पट्टी की मदद से रोकना चाहिए. पैरों की चोट में टूर्नीके को जख्म के चारों तरफ घुमाकर कस कर बांधने से खून बहना बंद हो जाता है. इसके बदले रूमाल या रूई के फीते का प्रयोग भी किया जा सकता है.
  2. खरोंच गिरने या गुमचोट लगने से छोटी-छोटी खून की नलियां फट जाती हैं. जिसकी वजह से खरोंच हो जाती है. खरोंच में काफी दर्द होता है और इसमें सूजन आ जाती है. सूजे हुये हिस्से को पहले दिन ठंडे पानी से और उसके बाद दिन में दो या तीन बार गरम पानी से धोना चाहिये. कभी-कभी खून के इकट्ठा हो जाने से खून गुल्म बन जाता है.
  3. खुला जख्म यह नर्व इंडिंग्स के खुला हो जाने से ज्यादा दर्दनाक होती है. मिट्टी के सम्पर्क में आने से बीमारी संक्रमण का खतरा बन जाता है. तेज पूतिरोधी का इस्तेमाल खुले घाव पर नहीं करना चाहिए. यदि खून बह रहा हो तो ब्लीडिंग के तहत दिये हुये तरीके से उपचार करें. या फिर घाव को साफ पानी से या हल्के पोटैशियम परमेंगनेट के घोल से धोना चाहिये. धोने के बाद घाव को रूई से सुखा लेना चाहिये और उसके बाद उसको सर्जिकल गौज व पट्टी से ढक देना चाहिये. सल्फनीलामाइड को भी ढ़कने से पहले घाव के ऊपर छिड़क देना चाहिये.
  4. यदि पशु पालक काफी अनुभवी है और मामूली रूप से हड्डी टूटी हो तो टूटी हुई हड्‌डी के टुकड़ों को जोड़ने का प्रयास किया जा सकता है, लेकिन अधिकतर यह बेहतर होता है कि प्राथमिक चिकित्सा न की जाये और पशु चिकित्सक की सहायता ली जाए. इस बीच यह कोशिश होना चाहिये कि जानवर को गन्दगी से बचाया जाय और जहाँ तक सम्भव हो जानवर का ध्यान खाने में रिझा कर घाव से हटाना चाहिये.
  5. थन पर चोट चोट का तुरंत और सावधानी से इलाज किया जाना चाहिये. अगर ऐसा न किया जाए तो इनके संक्रमित होने का खतरा रहता है. बीमारी संचार थन नली तक पहुंच जाती है. जिससे थनैला रोग हो जाता है. सल्फानीलामाइड या अन्य कोई सूखी दवा इसके लिये उपयुक्त होती है.
  6. पैरों की चोट तलवे की सफाई कर उसमें से गोबर और कीचड़ हटा लेना चाहिये. यदि कील या पत्थर के टुकड़े तलवे में धंस गये हों तो उनको निकालकर पैर को गरम एंटीसेप्टिक घोल से धो दें. और एंटीसेप्टिक पाउडर डाल दें।
  7. आंख की चोट आंख में कूड़ा, भूसा, बीज या कॉटे से चोट आ सकती है. एक या दो बूंद अरंडी के तेल को प्रभावित आँख में डालना चाहिए.
  8. सींघ की चोट सींघ के अन्दर चोट लगने से प्रभावित तरफ के नथुने से भी खून बहने लगता है. टूर्निकेट का प्रयोग खून रोकने के लिये करें। घाव को धोयें और पूतिरोधी लगाकर पट्टी बांध दें.
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