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Dairy Animal: बीमारी से उबर चुके पशुओं की कराएं ये जांच, नहीं तो ऐसे पशु हेल्दी मेवशियों को कर देंगे बीमार

COW SHELTER HOME,GAUSHALA IN LUCKNOW,YOGI GOVERNMENT
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. जो पशु किसी वजह से बीमार हो जाते हैं और इलाज के बाद हेल्दी होने पर उनके शरीर से बीमारी पैदा करने वाले वायरस और बैक्टीरिया निकल जाते हैं लेकिन कुछ परिस्थतियों में ये शरीर के अन्दर ही बने रहते हैं. हांलाकि पशु देखने में स्वस्थ लगता है. इसलिए पशुपालक भी बेफिक्र हो जाते हैं. ऐसे जानवर कभी-कभी वर्षों तक इन वायरस और बैक्टीरिया को ढोहते रहते हैं. जिससे वे बाकी जानवरों के लिये खतरा बने रहते हैं. अन्य बीमारियां जैसे टीबी की जांच करके उनको समूह (हर्ड) से निकाल देना बेहतर होता है.

एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसा करने से बाकी के पशु सेफ हो जाते हैं नहीं तो ये अन्य पशुओं को बीमार करने की वजह बन जाते हैं. इसलिए जरूरी है कि उन्हें बाहर निकाला जाए. आइए जानते हैं इसका क्या-क्या तरीका है.

ये काम जरूर करें पशुपालक
टीबी की जांच जरूर कराएं. टीबी के बैक्टिरिया माइको बैक्टिरियम ट्यूवरकुलोसिस का जैविक जहर हैं. ये स्वस्थ जानवरों में ट्यूक्रकुलिन का कोई प्रभाव नहीं होता है लेकिन बीमारी से ग्रसित जानवरों में एलजिंक लक्षण डेवलप होने लगते हैं. गाय भैंसों में डबल इन्ट्राडनंल परीक्षण 1 मिलिलीटर गाढ़े ट्यूवरकुलिन को गर्दन में देकर किया जाता है. 48 घंटे बाद दोबारा उसी मात्रा में ट्यूवरकुलिन देकर परीक्षण करते हैं. बीमारी की अवस्था में सूजन हो जाती है. जिसमें गर्मी व दर्द होती है. जांच माइको बैक्टिरियम पैरा टयूबरकुलोसिस से बना कर टीबी की तरह इसकी जांच की जाती है.

छटनी करें या वैक्सीनेशन कराएं
मुसिलोसिस के लिये ग्रुप जांच होती है. यह एन्टीजेन एन्टीबॉडी की प्रतिक्रिया से होता है. जिन गायों में बीमारी होती है, उनका सीरम बुसेला एवौर्टस बैक्टिरिया की मौजूदगी में इकट्ठा हो जाता है. ब्रुसेला बीमारी से ग्रसित गायों का अधिकतर 5-8 महीने की गर्भावस्था में गर्भपात हो जाता है. जिससे भारी हानि होती है. ऐसे जानवरों की छंटनी करनी चाहिये या अधिक प्रभाव वाले क्षेत्र में स्ट्रेन-19 वैक्सीन से 4 से 8 माह की उम्र के सभी नवजात का टीका करण करना चाहिये.

थनैला की जांच करें
थनैला रोग की जांच अनेक जानवर जिनमें थनैला रोग दिखाई देता है या रोग के लक्षण नहीं दिखाई देते हैं. इस बीमारी से ग्रसित होते हैं. जांच के दो सरल तरीके है और इनको प्रयोग में लाया जाता है. स्ट्रिप कप टेस्ट और कैलीफोर्निया मैस्टाइटिस टेस्ट (सी. एम. टी) हैं. स्ट्रिप कप टयस्ट में गाय के प्रत्येक धन का दूध स्ट्रिप कप की काली डिस्क में डाला जाता है. फिर बीमारी की स्थिति में उसमें थक्के पड़ जाते हैं. यदि दूध में कोई सफाई करने वाला पदार्थ जैसे कि टीपौल, सल्फोनेट या एल्काइल सल्फेट मिला दिया जाये तो जैल की लकीरें दिखाई देने लगती है. कैलीफोर्निया नैस्टाइटिस टेस्ट इसी सिद्धान्त पर आधारित है। बीमार जानवरों का इलाज अत्यन्त आवश्यक है.

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Livestock Animal News

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