नई दिल्ली. भैंसे में कृत्रिम गर्भाधान एक महत्वपूर्ण तकनीक के रूप में उभरी है. इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि एक बुल साल में 6 से 8 हजार भैंसों को गाभिन कर सकता है. केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान हिसार के वैज्ञानिकों ने इससे जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपनी राय रखी है. यहां समझने वाली ये है कि कृत्रिम गर्भाधान के क्या लाभ हैं. इसके प्रयोग में आने वाले उपकरण कौन से होते हैं. सीमन स्ट्रा थाइंग करने की विधि क्या है. एआई गन लोड करने का क्या तरीका है. कृत्रिम गर्भाधान करने का क्या तरीका है और कृत्रिम गर्भाधान करने से पहले और बाद में क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए.
बीमारियों का खतरा नहीं रहता
एक्सपर्ट कहते हैं कि एक छोटे से साल में 200 से 300 भैंसों के बजाय लगभग 6000 से 8000 भैंस को गाभिन किया जा सकता है. इसके अलावा कृत्रिम गर्भाधान विधि से मादाओं में बीमारियां फैलने खतरा भी बहुत कम हो जाता है. हिमीकृत वीर्य को एक जगह से दूसरी जगह आसानी से ले जाया जा सकता है. सबसे महत्वपूर्ण फायदा यह है कि उत्तम नस्ल के झोटों के प्रयोग से उनकी संतान में दूध उत्पादन की क्षमता में इजाफा हो जाता है. अब उपकरण की बात की जाए तो इसमें एआई गन, एआई शीथ सेनेटरी शीथ, नाइट्रोजन गैस सिलेंडर, थाइंग बॉक्स, थर्मामीटर, कैंची और अन्य सामान जैसे टिशू पेपर, साबुन, ल्यूबरीकैंट, बाल्टी, मग, तौलिया पॉलिथीन दास्तान आदि का इस्तेमाल किया जाता है.
सीमन स्ट्रा थाइंग के लिए क्या करें
सीमन स्ट्रा थाइंग करने की विधि के बारे में बात की जाए तो नाइट्रोजन गैस सिलेंडर से फोरसेप की सहायता से सीमन निकालें. सीमन स्ट्रा को हवा में एक या दो बार हिला लें. तुरंत एक्स्ट्रा को गर्म पानी में 37 डिग्री सेंटीग्रेड में 30 से 60 सेकंड के लिए रखें. एआई गन लोड करने की विधि पर बात की जाए तो थाइंग ट्रे से स्ट्रा निकालर टिशू पेपर से अच्छी तरह से पोंछ लेना चाहिए. स्ट्रा के फैक्ट्री सील वाले भाग को एआई गन के अंदर डाला जाए. साफ कैंची से स्ट्रा के प्रयोगशाला सील को नीचे से काटें. एआई गन के ऊपर शीथ डालें डालें, अच्छी तरह से शीथ को फिक्स कर लें. इस तरह से एआई गन कृत्रिम गर्भाधान के लिए तैयार हो गया.
कैसे होता है कृत्रिण गर्भाधान
कृत्रिम गर्भाधान की विधि के बारे में बात की जाए तो भैंस को अच्छी तरह से किसी पेड़ या कैरेट से बांध देना चाहिए. बाएं हाथ पर पॉलिथीन दास्तान अच्छी तरह से चढ़ा लें, जो कोहनी तक होना चाहिए. ल्यूबरीकैट को अच्छी तरह से दस्तानों पर लगाया जाए. अपनी उंगलियों को शंकु के आकार बनाते हुए गुदा मार्ग में डाल दें. गुदा मार्ग में मौजूद गोबर निकाल लेना चाहिए. अब अच्छी तरह से टिशू पेपर योनि को साफ करें. 30 से 45 डिग्री को लेते हुए योनि में डालें. फिर सीधी कर ले. सर्विक्स को गुदा मार्ग द्वारा पकड़े तथा सर्विक्स छिद्र को महसूस करें. आई गन को सर्विक्स छिद्र से प्रवेश करना चाहिए. सीमन को यूटरिन बॉडी में धीरे से छोड़ना चाहिए. इसके बाद हाथ को बाहर निकल लें और गन को भी बाहर निकलन लेना चाहिए.
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हाथ दास्तना को उल्टा कर लें और उमें शीथ और स्ट्रा डालकर गांठ बांधकर सही जगह इसको डिस्पोज कर देना चाहिए. गर्भाधान के बाद को 70% अल्कोहल से एआई गन को साफ कर सुखा लेना चाहिए. अपने जूते को पशुशाला छोड़ने से पहले अच्छी तरह से साफ कर लें. भैंस को कृत्रिम गर्भाधान से 15 मिनट पहले तथा 15 मिनट बाद आराम देना चाहिए. कृत्रिण गर्भाधान करने के बाद एआई गन को निकालते वक्त क्लीटोरिएस को छूते हुए निकलें. कृत्रिम गर्भाधान के एक दिन बाद यदि भैंस तार दे रही हो तो दोबारा कृत्रिण गर्भाधान कराना चाहिए. गर्भाधान के तुरंत बाद भैंस को न बैठने दें. एहतियात के तौर पर भैंस 15 दिन बाद छांव में रखें.
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