नई दिल्ली. मुर्गी पालन से आज पशुपालन अपनी आमदनी को बढ़ा रहे हैं. आज मुर्गी पालन में कई नस्लें पाली जा रही हैं, जिनसे अंडे और मीट दोनों से मुनाफा लिया जा सकता है. कुछ लोग देसी मुर्गियों का पालन करना पसंद करते हैं, तो कुछ ब्रॉयलर मुर्गे और मुर्गियों का पालन करते हैं. मुर्गी पालन में एक नस्ल है असील मुर्गे की, ये किसी एटीएम से कम नहीं है. स्वाद में भी ये बेहद शानदार है. मध्य प्रदेश का शहडोल में इसे बड़ी मात्रा में पाला जाता है. मार्केट में कड़कनाथ को ये नस्ल कड़ी टक्कर दे रही है. असील नस्ल का ये मुर्गा लड़ाकू मुर्गा है. दरअसल असील शब्द का मतलब ही होता है शुद्ध. ये मुर्गा प्योर देसी नस्ल का होता है और इसकी अच्छी खासी डिमांड होती है.
असील नस्ल का ये मुर्गा आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, सहित ओडिशा में मिलता है. पुराने समय में इसका उपयोग लड़ाई में किया जाता था. मनोरंजन के लिए मुर्गों को आपस में लड़ाया जाता था. जिसके लिए ग्रामीण क्षेत्र में लोग असील मुर्गे को अपने घरों में पाल कर लड़ाई के लिए तैयार करते थे. मुर्गों की इस लड़ाई देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे. असील नस्ल का ये मुर्गा बेहद मजबूत होता है. इसकी शारीरिक बनावट ही ऐसी होती है, जो इसे बहुत मज़बूत बनाती है. इसमें बहुत ताकत और एनर्जी होती है. जिसकी वजह से यह लड़ाई के बहुत तेज होता है.
ये है असील नस्ल के मुर्गे की पहचानः शारीरिक बनावट को अगर बात करें तो इसकी गर्दन लंबी रहती है. मुंह गोल बेलनाकार होता है, जबकि चोंच छोटी रहती है और टांगें लंबी-लंबी रहती हैं. यह आक्रामक प्रवृत्ति के होते हैं. इसकी बनावट की वजह से इनको लड़ाई के लिए शुरू से उपयोग किया गया है.
आंध्र प्रदेश में मिलता है चूजाः असील नस्ल के मुर्गे और मुर्गियों का चूजा आंध्र में मिलता है. अब ये नस्ल छिंदवाड़ा जिले में भी मिल रही है. बाजार में असील नस्ल के मुर्गे के मांस और अंडे की बहुत ज्यादा डिमांड है. ये मुर्गा एक से डेढ़ साल में 3 से 4 किलो का हो जाता है और मुर्गी 2 से 3 किलो की हो जाती है. इनका अंडा भूरे और क्रीम रंग का होता है. असील नस्ल की मुर्गी दूसरे नस्ल की मुर्गियों की अपेक्षा कम अंडा देती है. साल भर में करीब 60 से 70 अंडे देती है, लेकिन इनका अंडा मंहगा बिकता है. बाजार में इस नस्ल की मुर्गियों के अंडों की भारी मांग रहती है. एक अंडे का वेट लगभग 40 ग्राम होता है.
मीट के लिए जबरदस्त मांगः अगर असील नस्ल के मुर्गे का उपयोग मीट की बिक्री के लिए कर रहे हैं तो पशुपालकों के लिए फायदेमंद होता है. ये मुर्गा एक से डेढ़ वर्ष में लगभग 3 से 4 किलो वजनी हो जाता है. बाजार में इसका एक किलो मांस 400 से 500 रुपये किलो के तक के रेट में बिकता है. एक मुर्गा 2000 से 2500 रुपये में बिक जाएगा. देसी नस्ल के दूसरे मुर्गे 500 से 600 रुपये तक में बिकते हैं. असील की देखरेख की बात करें तो इसे देसी नस्ल के मुर्गों की तरह ही पाल सकते हैं. पोल्ट्री फार्म में कम देखरेख और कम लागत में ये अपने खाने की पूर्ति कर लेता है. इसकी प्रतिरोधक क्षमता बेहद मजबूत होती है और इसको बहुत कम बीमारियां लगती हैं.
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