नई दिल्ली. बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग में जब चूजे एक दिन के या फिर दो-तीन सप्ताह की उम्र के होते हैं तो किसानों के दरवाजे तक पहुंचाये जाते हैं. शुरू में कुछ दिनों के लिए इन्हें किसी सेफ जगह पर और छत के नीचे रखना होता है. वहीं मौसम को देखते हुए अगले दो तीन हफ्तों के लिए ठंड और परभक्षी जीवों से बचाना पड़ता है. जहां तक इनके भोजन की व्यवस्था का सवाल है तो ये घर के रसोईघर से फालतू बचे हुए अन्न पर अपना गुजारा कर लेते हैं. यदि किसान जरूरत समझें और उसके पास उपलब्धता हो तो इन्हें दाल, अनाज जैसे मक्का और गेहूं इत्यादि थोड़ी बहुत मात्रा में दिया जा सकता है.
दिन के समय इन पक्षियों को घर के आंगन में खुला छोड़ देना चाहिए और दिन छिपने पर फिर इन्हें भीतर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा देना ठीक रहता है. 6-7 हफ्तों की उम्र हासिल करते-करते ये पक्षी आपने आप अपनी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो जाते हैं. आसपास घूमकर अपनी जरूरत के मुताबिक भोजन प्राप्त कर लेते हैं. इस वक्त तक इन्हें शाम के समय अपने घर लौट आने की आदत भी पड़ जाती है फिर भी इस दौरान किसानों को इनपर सरसरी नजर तो रखनी ही पड़ती है. नहीं तो यह किसी कुत्ते या बिल्ली का शिकार भी बन सकते हैं.
इस बात का जरूर रखें ख्याल
एक आठवें सप्ताह तक पहुंचते-पहुंचते ये पक्षी घर के आंगन में स्थित किसी पेड़ या बड़ी झाड़ी या छत के नीचे अपना स्थान चुन लेते हैं. वहीं रात का समय बिताते हैं. इस दौरान ये प्राप्त भोजन के द्वारा अपने वजन में हो रही बढ़ोतरी तथा कद के ठीक विस्तार के कारण परभक्षियों से खुद को बचाने में और ज्यादा सक्षम हो जाते हैं. हर नए दिन के साथ इनकी निर्भरता इंसानों पर कम से कम होती जाती है. लेकिन किसान को यह ध्यान रखना चाहिए कि दिन छिपने के समय सभी पक्षी खुद से घर आ गए हैं कि नहीं. जरूरत के मुताबिक इनकी गिनती की जानी चाहिए.
कमाई के लिए बेचा जा सकता है
फिर वहीं अगले कुछ सप्ताहों में यह पक्षी इस योग्य हो जाते हैं कि मीट के लिए इन्हें बेच दिया जाए. साथ ही अंडों का उत्पादन भी शुरू हो जाता है. शुरू में मुर्गियां किसी भी अन्जान स्थान पर जाकर अंडे दे सकती हैं. इसलिए पोल्ट्री किसानों को चाहिए कि वे अपने घर आंगन के कोनों में कुछ स्थान पर पुआल डालकर इस प्रकार के बना दें, जहां मुर्गियां अंडे दे सकें. ऐसा करने से एक ओर तो किसान को मुर्गियों द्वारा दिए गए सभी अंडे मिल जाएंगे. साथ ही साथ मुर्गियों को घर से बाहर अंडे देने की आदत भी नहीं पड़ेगी.
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