नई दिल्ली. बकरीद में चंद महीने ही बचे हैं. मुस्लिमों ने अभी से बकरीद की तैयारी शुरू कर दी है. कुछ लोगों ने अभी से बकरों की तलाश भी शुरू कर दी है. वहीं किसान भी अपने बकरों को बकरीद के लिए तैयार कर रहे हैं. पहले से ज्यादा दाना-पानी खिलाना शुरू कर दिया है, ताकि अच्छे दाम मिल सकें. कुर्बानी करने वाले भी खूबसूरत और अच्छे वजन के बकरे की तलाश में रहते हैं. यही वजह है कि मंडियों में 35-50 किलो वजन के बकरे की मांग ज्यादा होती है.वहीं कुछ लोग बकरों की नस्ल पर भी बहुत ध्यान देते हैं.
पशु पालक और गोट फार्म संचालकों ने बकरे तैयार करना शुरू कर दिए हैं. बकरीद पर बकरे अच्छा मुनाफा दें, इस बात को सोचकर लोग बकरों की खिलाई-पिलाई करने में लगे हैं. ज्यादातर लोग कुरबानी के लिए अपने बजट के हिसाब से बकरे खरीदते हैं लेकिन 95 फीसदी लोग 15-25 हजार के बीच का ही बकरा पसंद करते हैं. गोट फार्मर की मानें तो इस बजट में अच्छा बकरा मार्केट में मिल जाता है. बस, आपको सावधानी बरतने की जरूरत है. बहुत से लोग बकरे का वजन एक क्विंटल से भी ज्यादा कर लेते हैं, ये बकरा मीट के हिसाब से बिल्कुल भी ठीक नहीं. इस तरह के बकरे में फैट ज्यादा होता है मीट कम. दूसरा इतने बड़े जानवर को देखने वाले तो बहुत आएंगे लेकिन खरीदार एक-दो फीसदी ही होंगे, इसलिए कुर्बानी करने वाले हमेशा बकरा वही खरीदें जिसका वजन 25-50 किलो के बीच में हो.
तंदरुस्त बच्चा देता है अच्छा मुनाफा
वृंदावन स्थित स्टार साइंटफिक गोट फार्मिंग के संचालक राशिद कुछ लोग बकरों की नस्ल पर भी बहुत ध्यान देते हैं. हालांकि जगह और क्षेत्र के हिसाब से लोग बकरों की ब्रीड को लेते हैं. कोई बरबरा तो कोई तोतापरी तो कोई सिरोही नस्ल के बकरों को पसंद करता है. जब बकरा अच्छा और खूबसूरत होता है तो वो किसान, पशुपालक और बकरी फार्म संचालक को मोटा मुनाफा भी देकर जाता है. आइए जानते हैं बकरीद पर किस तरह के बकरों की डिमांड मार्केट में रहती है.
देसी की भी होती है खूब डिमांड
देशभर में बकरीद 17 जून-2024 को मनाई जाएगी. इसकी तैयारियां गोट फार्म संचालकों ने पहले से ही कर दी हैं. बकरीद पर ज्यादातर पांच-छह तरह की नस्ल के बकरों की खूब डिमांड होती है. इनमें बरबरा, सिरोही, जमुनापारी, तोतापरी, जखराना नस्ल प्रमुख होती है. हालांकि देसी नस्ल का बकरा हर जगह मिल जाता है इसलिए वो सबसे ज्यादा बिकता है. मंडियों में 35-55 किलो वजन के बकरे की मांग ज्यादा होती है. वहीं कुछ लोग बकरों की नस्ल पर भी बहुत ध्यान देते हैं.
जखराना बकरा यहां मिलता है
जखराना नस्ल का बकरा राजस्थान में अलवर जिले के जखराना गांव में मिलता है. मोहम्मद राशिद कहते हैं कि इस नस्ल के बकरे बहुत ज्यादा नहीं मिलते.जखराना बकरे का वजन 50 से 55 किलो तक हो जाता है. बकरी 45 किलो वजन तक की होती है.
खूबसरती में बरबरे का कोई सानी नहीं
बरबरे नस्ल की बकरा-बकरी उत्तर प्रदेश के आगरा-अलीगढ़ मंडल में सबसे ज्यादा डिमांड रहती है इस नस्ल के बकरों की डिमांड सबसे ज्यादा बकरीद पर रहती है. इन बकरों की नस्ल का वजन 35-40 किलो वजन तक हो जाता है. 25 किलो से लेकर 50 किलो तक का बकरा सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है.
मांस के मामले में तोतापरी बकरे भी ठीक
तोतापरी नस्ल का बकरा राजस्थान में पाया जाता है. इस नस्ल के जानवरों को दूध और मांस दोनों के लिए पाला जाता है. एक बकरे का वजन करीब 40 से 70 किलो के बीच में होता है, तोतापुरी खुद को किसी भी वातावरण और जलवायु के साथ आसानी से रह सकता है.
हर जगह मिल जाता है सिरोही बकरा
सिरोही बकरे की नस्ल राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश राज्यों में पाई जाती है. इस नस्ल के बकरे सबसे ज्यादा और हर जगह आसानी से मिल जाते हैं. इसलिए इस बकरे की डिमांड भी खूब होती है. इस नस्ल की बकरियां आकार में मध्यम होती हैं. इनके शरीर का रंग लाल और काले-सफेद धब्बे होते हैं.
गोट फार्म या किसान से खरीदें बकरा
स्टार साइंटफिक गोट फार्मिंग के संचालक राशिद कहते हैं जब भी बकरा खरीदो तो उसकी जांच जरूर कर लो. कहीं ऐसा तो नहीं कि व्यापारी बकरे को कुछ खिला-पिता लाया हो और लोगों को बेच दे. इसलिए कोशिश करो कि बकरा फार्म से ही खरीदें या फिर किसान से. बकरा एक्टिव और चमकदार होना चाहिए.
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