नई दिल्ली. बिहार पशु विज्ञान यूनिवर्सिटी, पटना का तृतीय दीक्षांत समारोह 22 मई को ऊर्जा ऑडिटोरियम में हुआ. इस दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के तीन अंगीभूत संस्थानों बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय, पटना, संजय गांधी गव्य प्रौद्योगिकी संस्थान, पटना तथा मात्स्यिकी महाविद्यालय, किशनगंज के कुल 265 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई. डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में स्नातक डेयरी प्रौद्योगिकी के 46, वेटरिनरी साइंस के 103 तथा मात्स्यिकी विज्ञान के 55 विद्यार्थी शामिल थे. वहीं, पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में डेयरी के 4 और वेटरिनरी के 53 विद्यार्थियों को डिग्रियां दी गईं. इसके अलावा पीएचडी कार्यक्रम के तहत 4 शोधार्थियों को डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया.
उत्कृष्ट अकादमिक प्रदर्शन के लिए बीटेक (डेयरी), बैचलर ऑफ वेटरिनरी साइंस एंड एनिमल हसबेंडरी, बैचलर ऑफ फिशरीज साइंस तथा मास्टर ऑफ वेटरिनरी साइंस पाठ्यक्रमों के 2-2 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल प्रदान किए गए.
राष्ट्रीय स्तर पर यहां हुए रिसर्च को मिली सराहना
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने छात्रों को संदेश देते हुए कहा कि आज आप केवल डिग्री नहीं ले रहे हैं, बल्कि ज्ञान को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने की, पशुपालन को विज्ञान से जोड़ने की और ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की एक नई जिम्मेदारी भी अपने कंधों पर ले रहे हैं. बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना ही इस उद्देश्य से की गई थी कि राज्य में पशुपालन, डेयरी विज्ञान, पशु चिकित्सा विज्ञान एवं इससे संबंधित क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा, अनुसंधान एवं शिक्षा विस्तार कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जा सके. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के शोधार्थियों द्वारा पशु रोगों के निदान, टीकाकरण, एवं प्रजनन तकनीकों पर किए गए शोध कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा जा है. भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से पैदा हुई साहिवाल नस्ल की बाछिया आने वाले दिनों में राज्य में उन्नत नस्ल की देसी गायों की कमी को पूरा करने में सहायक होंगी. बोले कि डेयरी उत्पादों के प्रसंस्करण, मुर्गी पालन और मत्स्य पालन के क्षेत्र में कई नवाचार आधारित स्टार्टअप की शुरुआत के प्रयास किये जा रहे हैं, जो स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार का स्रोत बन रहे है.
वैज्ञानिकों को विदेशों में उच्च प्रशिक्षण दिलाई बिहार पशु विज्ञान यूनिवर्सिटी
कुलपति डॉ. इन्द्रजीत सिंह ने कहा कि साल 2018 में किशनगंज में फिशरीज कॉलेज की स्थापना की गई और Bachelor of Fisheries Science पाठ्यक्रम प्रारंभ किया गया. बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के तत्वावधान में, बिहार के दूसरे पशु चिकित्सा महाविद्यालय के रूप में पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान महाविद्यालय, अर्राबाड़ी, किशनगंज अस्तित्व में आया. इस महाविद्यालय में वीसीआई मानदंडों के अनुसार बीवीएससी और एएच डिग्री प्रोग्राम के पहले और दूसरे व्यावसायिक वर्ष की पढाई प्रारम्भ हो चूका है. जिसमे प्रत्येक वर्ष में 80 छात्रों ने प्रवेश लिया और कॉलेज इस वर्ष भी छात्रों के तीसरे बैच के प्रवेश लेने की तैयारी कर रहा है. उन्होंने कहा कि हमें नई दिल्ली से नेशनल एग्रीकल्चर हायर एजुकेशन प्रोजेक्ट के माध्यम से सहायता प्रदान की गई है. इसके अंर्तगत हमारे वैज्ञानिकों को विदेशों में उच्च प्रशिक्षण दिलाया गया, प्रयोगशालाओं को बेहतर ढंग से सुसज्जित किया गया, वर्चुअल डिसेक्शन टेबल, पशु प्रजनन के प्रशिक्षण के लिए सिमुलेशन गाय मॉडल तथा ऑगमेंटेड रियलिटी व वर्चुअल रियलिटी और वर्चुअल क्लास रूम की सुविधाएं दी की गई. कहा कि हमने राज्य में पशुपालन, मुर्गी पालन और मतस्य पालन से जुरे मानव बल के कमी मह्शूश की और इसलिए बिहार सर्कार के सहयोग से जल्द ही विश्वविद्यालयपशुपालन विज्ञान में बी.एससी., नैदानिक और पैराक्लिनिकल विषयों में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने जा रहे हैं. हमारे इस पहल से पशुपालन के क्षेत्र मैं टेक्निकल मैनपावर की कमी को पूरा किया जा सकेगा.
पशुपालन से लाखों लोगों को चलती है आजीविका
केंद्रयी मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि सबसे पहले, मैं प्रत्येक स्नातक छात्र-छात्रा को हार्दिक बधाई देता हूं. आज का दिन आपके जीवन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. कहा कि बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, नया है लेकिन इसने पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार में उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में तेजी से अपनी पहचान बनाई है. बिहार जैसे राज्य में, जहाँ कृषि और पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, इस विश्वविद्यालय की भूमिका सर्वोपरि है. पशुधन क्षेत्र केवल एक संबद्ध कृषि गतिविधि नहीं है. यह लाखों लोगों के लिए आजीविका का एक प्राथमिक स्रोत है, पोषण सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है, और महिला सशक्तिकरण एवं गरीबी उन्मूलन का एक मार्ग है. अंत में, मैं आप सभी से यही कहना चाहूँगा – डिग्री प्राप्त करना यात्रा का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है. यह डिग्री आपको केवल एक पहचान नहीं देती, बल्कि एक जिम्मेदारी भी सौंपती है. समाज, पशुपालक किसान, और देश की सेवा की जिम्मेदारी। आप जहां भी जाएँ, अपने आचरण, कार्यशैली और दृष्टिकोण से विश्वविद्यालय और देश का नाम रोशन करें। याद रखें कि सीखना एक आजीवन यात्रा है. आपने यहां जो ज्ञान अर्जित किया है वह एक नींव है. कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय को उनके नेतृत्व में शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार कार्यों को नई ऊँचाई देने के लिए हार्दिक बधाई देता हूं.
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