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Oxytocin: बेहद खतरनाक है ऑक्सीटोसिन, जानिए दुधारू पशुओं में क्या होते हैं नुकसान

पशुओं की तंदुरुस्ती और अधिक दूध उत्पादन के लिए पशुपालक जबरन इंजेक्शन लगाते हैं.
ऑक्सीटोसिन.

नई दिल्ली. भारत में पशुपालन तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है. इस बिजनेस में कमाई की बात तो पशुपालन से किसानों को अच्छी खासी कमाई होती है. दुधारू पशुओं से दूध निकाल कर खूब कमाई कर रहे हैं. हालांकि कुछ पशुपालक दुधारू पशुओं में दूध की कमी होने पर हरे चारे और घरेलू आहार को ना अपनाकर इंजेक्शन से दूध निकालने का प्रयास करते है. कई बार पशुपालन में देखने को मिलता है कि पशुओं से अधिक से अधिक दूध उत्पादन लेने के लिए उन्हें इंजेक्शन लगाया जाता है. दुधारू पशुओं को ऑक्सीटोसिन लगाने के उपयोग पर रोक है.

ऑक्सीटोसिन पशुओं के लिए तो नुकसानदायक है ही. इसको लगाने के बाद निकाला गया दूध भी इंसानी शरीर के लिए खतरनाक होता है. पशुपालन निदेशालय द्वारा इसके प्रयोग के लिए रोक जारी की गई है.

दुधारू पशुओं पर ऑक्सीटोसिन के उपयोग पर रोक, पशुपालकों के लिए आवश्यक सलाह

  • .ऑक्सीटोसिन हार्मोन का मुख्य कार्य पशुओं के प्रसव के समय गर्भाशय को संकुचित नवजात को बाहर आने में मदद करना है. इसका दूसरा मुख्य कार्य पशुओं के दुग्ध ग्रंथियों को उत्तेजित कर दूध स्रावित करना है.
  • .कुछ व्यवसायिक प्रवृति के पशुपालकों के द्वारा दुधारू पशुओं में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग किया जाता है. इस प्रकार अप्राकृतिक ढंग से दूध उतारने से दुधारू पशुओं में दवा की आदत हो सकती है, जिसकी वजह से उन्हें भविष्य में सामान्य रूप में दूध देने में कठिनाई हो जाती है.
  • .कृत्रिम ऑक्सीटोसिन के उपयोग के कारण पशुओं में हार्मोनल असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
  • . Prevention to Cruelty to Animal Act, 1960 के section 12 और IPC की धारा 429 के तहत पशुओं में ऑक्सीटोसिन का उपयोग दण्डनीय अपराध है.
  • . Food and Drug adulteration Prevention Act, 1940 द्वारा ऑक्सीटोसिन को Schedule ‘H’ Drug में रखा गया है, जिसके अनुसार पशु चिकित्सक के परामर्श के बिना पशुओं में इसके उपयोग पर रोक है.
  • पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि वे स्वयं ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का उपयोग अपने दुधारू पशुओं पर नहीं करें. विशेष परिस्थिति में योग्य पशु चिकित्सक के द्वारा ही इस इंजेक्शन का उपयोग किया जाए.

दुधारू पशुओं को ना दें ये पाउडर: कई बार देखा जाता है कि दुधारू पशुओं से दूध उत्पादन के लिए पशुपालक गलत तरीका भी अपनाते हैं. इसके लिए वह गाय या भैंस को पाउडर भी देते हैं. ऐसा करने में से पशुओं की सेहत पर काफी प्रभाव पड़ता है. ऐसे में किसान अपने दुधारू पशुओं के साथ इस तरह के प्रयोग करने से बच्चे नहीं तो निकट भविष्य में दूध उत्पादन का हो जाएगा.

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