नई दिल्ली. मछली पालन शुरू करने से पहले भी कई काम करना जरूरी होता है. तालाब की मिट्टी की जांच की जाती है. इस जांच में मिट्टटी का पीएच चेक किया जाता है और कम या ज्यादा होने पर उसका उपचार किया जाना बेहद जरूरी होता है. जिसका असर मछली के उत्पादन पर पड़ता है. वहीं मछली पालन से पहले एक और काम करना जरूरी होता है. तालाब में उगे पौधों को खत्म करना पड़ता है. क्योंकि इसके चलते भी मछली के उत्पादन पर असर पड़ता है. हालांकि इन दोनों चीजों को कैसे करना है इसका तरीका जाने बिना इसे करना मुश्किल है.
एक्सपर्ट कहते हैं कि मछली पालन करने के लिए इसकी ट्रेनिंग लेना बहुत जरूरी होता है. या फिर किसी एक्सपर्ट से इसकी बारीकियां सीख लेना चाहिए, इससे मछली पालन में फायदा होने का चांस बढ़ जाता है, जबकि ऐसा नहीं करने पर नुकसान होने का खतरा रहता है.
तालाब के पौधों को इस तरह हटाएं
मछली पालन में तालाब के अंदर मिट्टी को 7 से 10 दिन तक धूप दिखाने से परभक्षी मछली और गैर जरूरी पानी के पौधे खत्म हो जाते हैं. वही ऐसा करने से तालाब के अंदर जमे जैविक पदार्थ का भी बिखराव हो जाता है. नर्सरी तालाब से पानी के पौधों को हटाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि मजदूरों को लगा दें और वह हाथ से इसे निकाल कर बाहर फेंक दें. वहीं तालाब में पानी वाले पौधों को 7 से 10 किलोग्राम एक हेक्टेयर में 2—4D के इस्तेमाल से भी इसे खत्म किया जा सकता है. तालाब में प्लैंकटन के ब्लूम की स्थिति में सीमाजिन या डॉयरान 3 से 5 किलो प्रति हेक्टेयर का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. कई बार रासायनिक इस्तेमाल से भी पानी के पौधे खत्म नहीं होते हैं. क्योंकि पौधों की जड़ मिट्टी के नीचे रहती है. इस वजह से वहां तक रसायन नहीं पहुंच पाता इसलिए उन्हें उखाड़ना ही बेहतर होता है.
मिट्टी को इस तरह ठीक करना चाहिए
मिट्टी के उपचार के लिए सबसे पहला और जरूरी काम यह है कि पहले उसकी जांच कर ली जाए. एक्सपर्ट कहते हैं कि मिट्टी का पीएच अगर 6.5 यह 7.02 है तो यह उत्पादकता के लिए बेहतर माना जाता है. वहीं मिट्टी का पीएच 6.5 है तो 250 से 300 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर भाखड़ा चूना डालकर इसे सही किया जा सकता है. अगर पीएच 6.0 है तो 400 से 550 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, 5.5 है तो 600 से 850 किलो चूना प्रति हेक्टेयर, 5.02 है तो 800 से 1050 किलो प्रति हेक्टेयर चूना, 4.5 है तो 1200 से 1400 किलो प्रति हेक्टेयर चूना और अगर 4.02 पीएच है तो 1600 से 2000 किलो प्रति हेक्टेयर भाखड़ा चूना का इस्तेमाल करके इसे ठीक किया जा सकता है. बता दें कि भाखड़ा चूना का घोल बनाकर तालाब में उपयुक्त मात्रा में इसका प्रयोग किया जाता है.
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