नई दिल्ली. खेती करने के अलावा किसानों को पशुपालन से भी फायदा हो, इसके लिए सरकार किसानों को पशुपालन करने को लेकर प्रेरित करती रहती है. इसी कड़ी में दुधारू पशुओं को रोग मुक्त रखने के लिए भी केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया है. कई राज्यों में पशुओं की यूआईडी टैगिंग पर भी जोर दिया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम हो या पशु के कानों में पीला टैग लगाना, इन सब में मध्य प्रदेश का नाम पहले स्थान पर है. आइए जानते हैं कि जानवरों के कानों में पीला टैग यानी यूआईडी टैगिंग क्यों की जाती है. यह टैग देने से जानवरों को कैसे फायदा होता है.
पशुओं को दी जाती है पहचान
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया था. जिसके तहत जानवरों को यूआईडी टैगिंग द्वारा एक पहचान दी जाती है. इस प्रक्रिया में पशु के कान में एक पीला टैग लगाया जाता है, जिसपर पशु का आधार नंबर लिखा होता है. यह टैग न सिर्फ पशु की पहचान करने में सहायक है बल्कि यह जानने में भी मददगार है कि पशु को कितने टीके लगे हैं. इसका पता लगाने के लिए जानवर के कान पर लगे पीले टैग पर आधार नंबर दर्ज किया होता है.
ईयर टैगिंग भी कहा जाता है
इस आधार पर पशु को टीकाकरण से गंभीर बीमारियों से बचाने मदद मिलती है. इसके आधार पर पशुओं और पशुपालकों की जानकारी आईएनएपीएच सॉफ्टवेयर में दर्ज हो जाती है. जानवरों को टैग लगाने के लिए बाजार से भी टैग उपलब्ध होता है. यह टैग आधिकतर प्लास्टिक के बने होते हैं. जिसे ईयर टैगिंग भी कहा जाता है.
इस तरह लगवाएं टैग
पशु चिकित्सकों द्वारा पशुओं की टैगिंग भी बड़े पैमाने पर की जा रही है. पशु चिकित्सा विभाग द्वारा कुछ स्थानों पर टैगिंग का कार्य भी पूरा किया गया है. जिन पशु पलकों की गाय भैंस को टैग नहीं लगा है, वह अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय विभाग में जाकर सभी पशुओं को टैगिंग करा सकते हैं. टैग कराते समय सबसे पहले पशु के कान का साफ कर लें. स्पिरिट से साफ करें. उसके बाद किसी धातु या प्लास्टिक का टैग लगाना सुनिश्चित करें.
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