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Fish Farming: रिजर्वायर में मछली पालन करके की जा सकती है मोटी कमाई, इस तरह होती इसमें फिश फार्मिंग

fish farming in cage
Symbolic photo.

नई दिल्ली. रिजर्वायर (जहां पानी स्टोर रहता है) में मछली पालन की बहुत संभावनाएं होती हैं. इसके अलावा भी इसके कई आर्थिक और सामाजिक फायदे हैं. रिजर्वायर में पिंजरे में मछली पालन से न सिर्फ मछली उत्पादन बढ़ाता है बल्कि ये लोगों को रोजगार के अवसर भी देता है. जलाशय के बनाने भर से ही विस्थापित हुए लोगों के लिए यह आजीविका को हासिल करने का एक बेहतरीन जरिया मिल जाता है. यही वजह है कि सरकार भी इससे सम्बंधित योजनाओं को लागू कर रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग फायदा उठा सकें.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत रिजर्वायर में पिंजरे में मछली पालन करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. बताते चलें कि झारखंड के चांडिल रिजर्वायर में पिंजरे में मछली पालन करके कई लोगों ने खूब कमाया है. सरकार का मानना है कि ज्यादातर लोगों के जुड़ने से इससे बहुत से लोगों को कमाई का जरिया मिलेगा जबकि रोजगार भी मिलेगा.

उत्पादन बढ़ाने की है गुंजाइश
एक्सपर्ट का कहना है कि रिजर्वायर का निर्माण आमतौर पर बिजली उत्पादन और सिंचाई के लिए किया जाता है. साथ ही इसके पानी में मछली पालन की भी संभावनाएं हैं. इससे कई आर्थिक और सामाजिक फायदा मिलता है. इसके लिए नई टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के इस्तेमाल की आवश्यकता है. भारतीय रिजर्वायर जो कि 3.15 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में हैं. उनकी उत्पादन क्षमता बड़े, मध्यम और छोटे जलाशयों से 8, 20 और 50 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर हर साल है. इससे पालन आधारित कैप्चर फिशरी जरिए से मछली का उत्पादन बढ़ाने की पर्याप्त गुंजाइश हैं. कई रिसर्च में सरकार और अन्य ने भी जलाशयों में पालन आधारित कैप्चर फिशरी के जरिए से उत्पादकता बढ़ाने की अपार संभावना की बात कही है.

15 राज्यों में हो रहा है मछली पालन
रिजर्वायर में पिंजरे में मछली पालन कर के मछली उत्पादन बढ़ाने के कई अवसर हैं और इससे देश में बढ़ती पशु प्रोटीन की मांग की आपूर्ति की जा सकती है. तमाम रिपोर्टों के अनुसार, 15 से अधिक राज्यों ने अंतर्देशीय जल में पिंजरे में मछली पालन की तकनीक को अलग-अलग स्तर की सफलता के साथ अपनाया है. झारखंड और छत्तीसगढ़ की सफलता ने एक मापदंड स्थापित किया है और देश में पिंजरे में मछली पालन की क्षमता को प्रमाणित किया है. बताते चलें कि झारखंड भारत का पहला ऐसा राज्य है जिसने जलाशयों में पिंजरे में मछली पालन को व्यावसायिक स्तर पर सफलतापूर्वक शुरू किया और अब मीठे पानी में पिंजरे में मछली पालन में अग्रणी है.

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