नई दिल्ली. महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी के 622 एकड़ में फैले कैंपस में सर्दी और गर्मी दोनों मौसम को मिलाकर यहां 2025 के दौरान कुल 98 पक्षी प्रजातियां हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इनमें 56 स्थल पक्षी और 42 जल पक्षी हैं. इस बात का पता सर्वे होने के बाद चला है. सर्वे पक्षी विज्ञानी टीके राय फरवरी और अप्रैल 2025 में दो-दो दिन किया गया है. पक्षी विज्ञानी टीके राय ने बताया कि सर्वे के दौरान सर्दी के मौसम में 26 जल पक्षी और 41 स्थल पक्षी मिले हैं. गर्मियों में 75 प्रजातियां मिलीं. इनमें 28 जल पक्षी और 47 स्थल पक्षी शामिल हैं. दोनों मौसमों को मिलाकर कुल 98 प्रजातियां दर्ज की गईं.
उन्होंने बताया कि तीन प्रजातियां वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट की अनुसूची-1 में शामिल हैं. तीन प्रजातियां आईयूसीएन की रेड लिस्ट में हैं. जबकि तीन प्रजातियां साइट्स एपेंडिक्स-2 और 3 में दर्ज हैं. पक्षी विज्ञानी ने बताया कि विश्व में बदल रहे मौसम का असर पक्षियों पर दिखाई दे रहा है.
नए पेड़ लगाने की जरूरत
उन्होंने बताया कि ग्रे हेरॉन, पर्पल हेरॉन और ब्लैक क्राउन नाइट हेरॉन नस्ल के पक्षियों ने समय से पहले प्रजनन शुरू कर दिया है. पर्याप्त पेड़ न होने से ग्लॉसी आईबिस, ओरिएंटल डार्टर, कॉम्ब डक, एग्रेट्स और अन्य ग्रे हेरॉन घोंसले नहीं बना पा रहे हैं. गर्मी में प्रवासी पक्षी बया वीवर और कॉमन हॉक कुक्कू आ चुके हैं. रोजी स्टारलिंग भी मध्य एशिया, पश्चिम एशिया और पूर्वी यूरोप से लौटते समय रुके. एमडीयू में नए पेड़ लगाए जाए. इससे पक्षियों को आवास तैयार होगा. वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट की अनुसूची-1: इस सूची में आने वाले तीन पक्षी एमडीयू में खोजे गए हैं. गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची 1 के अंतर्गत रखा है.
साइट्स एपेंडिक्स क्या है
इसके अंतर्गत वन्यजीव प्रजातियों का शिकार, अवैध शिकार, हत्या और व्यापार सख्त वर्जित है. साइट्स एपेंडिक्स-2 और 3: एमडीयू में मिली 3 प्रजातियां साइट्स एपेंडिक्स-2 और 3 में शामिल वाली मिली हैं. साइट्स एपेंडिक्स 2 का मतलब है, ऐसी प्रजातियां जो विलुप्त होने के खतरे में नहीं हैं, लेकिन जिनके व्यापार को नियंत्रित किया जाना चाहिए ताकि उनका भविष्य के लिए अस्तित्व बचाया जा सके. जबकि साइट्स एपेंडिक्स 3 का अर्थ है, ऐसे वन्यजीव और पौधे शामिल हैं, जो कम से कम एक देश में संरक्षित हैं, जिसने उस प्रजाति के अंतरराष्ट्रीय व्यापार को विनियमित करने के लिए अन्य पक्षों से सहायता मांगी है.
आईयूसीएन की रेड लिस्ट किसे कहते हैं
एमडीयू में मिली 3 प्रजातियां लिस्ट में शामिल हैं. आईयूसीएन की रेड लिस्ट को अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) प्रकाशित करता है. यह वैश्विक स्तर की सूची है, जो संकटग्रस्त प्रजातियों की स्थिति व विलुप्त होने के खतरे का मूल्यांकन करती है. यह जैव विविधता संरक्षण के लिए कार्रवाई को सूचित, उत्प्रेरित करने में मदद करती है.
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