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Goat Farming Business: बकरी को मोटा करने के जबरदस्त टिप्स, बंपर होगी कमाई

किसी भी पशुपालन में अच्छी नस्ल और अच्छी सेहत का पशु पशुपालक को मुनाफा देता है.
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. बकरी पालन आज देहात ही नहीं शहरी क्षेत्रों में भी किया जा रहा है. कई बीमारियों में बकरी का दूध लाभकारी होने के चलते आज देहात ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी बकरी पालन किया जा रहा है. बकरियों की ऐसी नस्लें भी हैं, जो दूध के साथ मीट के लिए बहुत फेमस हैं. बकरियों की खासियत होती है, कि ये कम खर्च में पल जाती हैं. बकरियों से एक से डेढ़ साल में अच्छी कमाई ली जा सकती हैं. अगर आपने भी अपने बाड़े में बकरी पाल रखी हैं और उनके पोषण संबंधी कुछ समस्याएं आ रही हैं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी बेहतरीन जानकारी, जिसे अपनाने के बाद आपकी बकरियां मोटी ताजी हो जाएंगी. इस आर्टिकल के जरिए हम बकरियों को मोटा करने में आपकी मदद करने के लिए बेहद जरूरी जानकारी दे रहे हैं.

किसी भी पशुपालन में अच्छी नस्ल और अच्छी सेहत का पशु पशुपालक को मुनाफा देता है. बकरियों को पालन दूध और मीट के लिए किया जाता है. बकरी के लिए फीड मैनेजमेंट में कुछ टिप्स अपनाकर आप भी बकरी पालन में अच्छी कमाई कर सकते हैं.

कैसे करें बकरियों को मोटा: बकरी पालन में अच्छे आहार को शामिल करें. बकरियों को मोटा करने के लिए उचित पोषण, अच्छे स्वास्थ्य प्रबंधन और उचित आवास का संयोजन प्रभावी रूप से शामिल है.

सही बकरियां चुनें: बकरी पालन में नस्ल मायने रखती है. बोअर, किको या सवाना जैसी मांस की नस्लें डेयरी के लिए या फाइबर नस्लों की तुलना में तेजी से मोटी होती हैं.

आयु: युवा बकरियां (4-12 महीने) मोटा करने के लिए आदर्श हैं.

सेहत: केवल स्वस्थ बकरियों का चयन करें जिनमें परजीवी या बीमारियों के कोई लक्षण न हों.

कृमि मुक्ति और टीकाकरण: चारा दक्षता सुनिश्चित करने के लिए मोटा करना शुरू करने से पहले कृमि मुक्ति करें. बीमारियों को रोकने के लिए पशु चिकित्सक द्वारा सुझाए गए टीकाकरण कार्यक्रम का पालन करें.

आहार रणनीति: बकरियों के चारे में घास महत्वपूर्ण होती है. गुणवत्तापूर्ण घास, घास या ब्राउज इनके आहार में शामिल कर सकते हैं. यह उनके आहार का 40-60 प्रतिशत होना चाहिए. इसके लिए अल्फाल्फा, नेपियर घास और फलीदार घास ले सकते हैं. सांद्र (अनाज मिश्रण) भी बकरियों के आहार में शामिल कर सकते हैं. उनके आहार का 40-60 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं. वहीं सामान्य मिश्रण में मक्का (मकई) या जौ-ऊर्जा स्रोत होते हैं, इन्हें शामिल कर सकते हैं. सोयाबीन आटा या कपास के बीज का केक प्रोटीन के अच्छे सोर्स होते हैं. गेहूं का चोकर फाइबर और खनिज के लिए अच्छा होता है.
गुड़, ऊर्जा और स्वाद बढ़ाने वाला होता है.

कैसे बनाए मिश्रण: (प्रति 100 किग्रा):

मक्का – 50 किग्रा
सोयाबीन आटा – 25 किग्रा
गेहूं का चोकर – 20 किग्रा
गुड़ – 5 किग्रा
खनिज/विटामिन प्रीमिक्स मिलाएं
शरीर के वजन का 2-3 प्रतिशत सांद्र प्रतिदिन खिलाएं, दो बार में विभाजित करें
सी. खनिज और नमक
खनिज ब्लॉक दें या फ़ीड के साथ मिश्रण करें

नमक चटाने से इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने में मदद करता है. वहं साफ, ताजा पानी हमेशा उपलब्ध होना चाहिए. बकरियों के आश्रय और आराम की जगह को सूखा, साफ और अच्छी तरह हवादार होना चाहिए. बकरियों को बारिश और अत्यधिक तापमान से बचाएं. बकरियों के मोटा होने की अवधि आमतौर पर 60-90 दिन की होती है. साप्ताहिक रूप से वजन की निगरानी करें (टेप या स्केल का उपयोग करके). आवश्यकतानुसार फीड को समायोजित करें.

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