नई दिल्ली. कर्नाटक के गडग जिले में किसान आसमानी आफत की वजह से बेहद ही मुश्किलों का सामना करना कर रहे हैं. जिले के किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब होती चली जा रही है. वित्तीय संकट यहां तक हो गया है कि रोजगार की तलाश में किसान गांव से शहर की ओर पलायन कर रहे हैं. वही पशुओं को भरपेट चारा न दे पाने की स्थिति में आधे पौने दाम पर मवेशियों को बेचने को मजबूर हो रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पशुपालक घाटा सहकार 50 से 60 हजार रुपये में अपने पशुओं को बेच रहे हैं.
जबकि प्रत्येक पशुओं की कीमत 1 लाख रुपये से ज्यादा है. कुछ गांव में तो भारी संख्या में मवेशी चारे के अभाव में कमजोर हो गये हैं. पिछले दो साल में तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन की सबसे ज्यादा असर यहीं के किसानों पर ही पड़ी है. 2022 में इस क्षेत्र में भारी बारिश हुई, जिससे उपज नष्ट हो गई. किस्मत देखिए कि अगले साल इस क्षेत्र में सूखा पड़ गया. इस वजह से किसानों को अपनी रबी और खरीफ की फसलों से हाथ धोना पड़ गया.
चारे की बढ़ रही है कीमतें
कहा जा रहा है कि इसी वजह से किसान बेश्कीमती मवेशियों को कम दाम पर बेचने को मजबूर हैं. क्योंकि चारे की कीमतों में भी काफी वृद्धि हुई है. पहले एक ट्रैक्टर चारे की कीमत 3 हजार रुपये थी, जो अब 10 हजार रुपये तक हो गई है. इससे किसानों की पहले से ही खराब आर्थिक स्थिति और खराब होना लाजमी है. किसानों का कहना है कि जिले में हर जगह सूखा है. हमारे फसलें लगातार बर्बाद हो रही हैं. किसानों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है. खेती के लिए मवेशी आवश्यक हैं लेकिन सूखे की स्थिति चारे की बढ़ती कीमतों के कारण किसान उन्हें बेचने को मजबूर हैं.
चारा बैंक खोलने की है योजना
गडक जिले के प्रभारी मंत्री पाटिल ने कहा कि किसानों की मदद के लिए चारा बैंक शुरू कर रहे हैं. पहले चरण में हम पांच ग्राम पंचायत में चारा बैंक खोलेंगे. प्रत्येक चारा बैंक चार से पांच टन चारा उपलब्ध होगा. इतना ही नहीं तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले में भी पशुओं के खिलौने के लिए चारे की किल्लत है. लोग अपनी गाय व भैंस को चारा खिलाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं जबकि बाजार में उन्हें चारा काफी महंगा मिल रहा है. धर्मपुरी जिले में 3.75 लाख से अधिक दुधारु मवेशी हैं. जिनका औसत दैनिक दूध उत्पादन 1.25 लाख लीटर है.
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