नई दिल्ली. प्राकृतिक संसाधनों जैसे तालाब में ज्यादा से ज्यादा मछलियां पकड़ना, रुके हुए मीठे पानी, खारे या समुद्री पानी में मछली के संवर्धन के काम को ही मछली पालन कहते हैं. लेकिन मछली पालन एक बेहद चुनौती पूर्ण और कार्य है. इसमें ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है. इसमें जरा से भी लापरवाही बरती जाए तो आपको मोटा नुकसान उठाना पड़ सकता है. जबकि अच्छे ढंग से मछली पालन किया जाए तो फायदा ही फायदा होता है. भारत समेत पूरी दुनिया में आबादी तेजी से बढ़ रही है.
ऐसे में इस आबादी के लिए भोजन उत्पादन बढ़ाना भी एक चुनौती है. ऐसे में विशेषज्ञों का का कहना है कि भोजन की कमी को दूर करने के लिए मछली भी एक विकल्प हो सकती है. वैसे भी भारत में 70 फीसदी लोग मछली का सेवन करते हैं.
जीवों से होता है मछलियों को नुकसान
अक्सर लोग तालाब को नजरअंदाज करते हैं. जिसमें वह मछली पालन का लक्ष्य रखते हैं. आमतौर पर गांव के तालाबों में पानी एक मात्र साधन तालाब होता है लेकिन बारिश के मौसम में बाढ़ के पानी के साथ-साथ कई तरह की जीव तालाब में घुस जाते हैं. यह जीव मछली पालन के लिए सही नहीं हैं. इसमें कछुआ, सांप या फिर मेंढक जैसे जीव शामिल होते हैं. जीव तालाब में सही तरह से मछली पालन पर असर डालते हैं और जीव मछली को सीधे तौर पर प्रयोग करते हैं. जबकि मछली की खुराक को भी खा जाते हैं. इससे मछलियों को नुकसान पहुंचता है.
जाल डालना है बेहतर विकल्प
ऐसे में जरूरी है कि इन जीवों को पूरी तरह से तालाब से निकाल दिया जाए. ऐसे गैर जरूरी जीव जंतुओं को तालाब से निकलने के लिए कई तरह की विधि का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें एक है जाल डालना. जाल डालकर उन्हें बाहर निकल जाए और फिर नष्ट कर दिया जाए. इसके अलावा रासायनिक पदार्थ का भी प्रयोग करके इसको नष्ट किया जा सकता है. लेकिन ऐसा करने से तालाब का पानी जहरीला हो सकता है. ऐसे में बेहतर है कि जाल डालकर ही मछलियों को तालाब से बाहर निकाला जाए.
तो रुक जाएगा मछलियों का विकास
इसके अलावा महुआ खल की मदद से भी इन जीवों को नष्ट किया जा सकता है. बाद में खाद के तौर पर भी इसका प्रयोग किया जा सकता है. कई राज्यों में महुआ के पौधे भी मिलते हैं. इन पौधों की मदद से तालाब की जीव जंतु तो नष्ट हो जाते ही हैं. साथ ही खाद के तौर पर इसका इस्तेमाल होता है. महुआ की खली का घोल 2500 प्रति किलोग्राम है और इस वजह से काम के लिए ठीक समझा जाता है. इस बात का भी ध्यान रखें कि तालाब के पानी में बहुत ज्यादा पानी वाले पौधे न हों. अगर ऐसा है तो उन्हें निकाल देना चाहिए नहीं तो मछलियों का विकास ठीक से नहीं होगा.
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