नई दिल्ली. फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी की मांग पुरानी है लेकिन अब दूध पर भी एमएसपी की मांग उठने लगी है. डेयरी सेक्टर और दूध उत्पादकों ने दूध पर (एमएसपी) देने की मांग इंडियन डेयरी एसोसिएशन (आईडीए) के साउथ जोन के अध्यक्ष डॉक्टर सतीश कुलकर्णी और केंद्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य और डोडला डेयरी के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी बीवीके रेड्डी ने पिछले दिनों यह मांग उठाई थी. उन्होंने कहा था कि देश में दूध उत्पादन 5 फीसदी की दर से बढ़ रहा है. जबकि विश्व में या 1.5 फीसदी की दर से बढ़ रहा है. जबकि भारत दूध उत्पादन में नंबर वन है.
विश्व में जितना दूध उत्पादन किया जाता है भारत में ही अकेले 26 प्रतिशत भारत में दूध उत्पादन किया जाता है. दूध की अर्थव्यवस्था 8 से लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है. अकेले दूध का भारतीय शकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब चार फ़ीसदी योगदान है. बावजूद इसके डेयरी के लिए कोई नियमित समर्थन मूल्य एमएसपी का कोई सिस्टम नहीं है.
सेक्टर को पहुंचेगा फायदा
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में इतनी बड़ा योगदान के बावजूद एसएमपी का सिस्टम न होना कतई सही नहीं ठहराया जा सकता. डेयरी अर्थव्यवस्था संगठित है. डेयरी के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण करना का फायदा सरकार को ही पहुंचेगा. ऐसे में डेयरी सेक्टर को एमएसपी में शामिल करना चाहिए. ताकि इस सेक्टर को और ज्यादा फायदा पहुंचे.
सबसे ज्यादा पशु पाले जाते हैं
डॉ. कुलकर्णी ने आगे कहा कि विश्व की मवेशी आबादी का करीब 15 फ़ीसदी मवेशी भारत में है. इतना ही नहीं विश्व में भैंसों की कुल आबादी 60 फीसदी भैंस भारत में ही पाली जाती है. कुल पशुओं की बात करें तो सबसे ज्यादा भारत में है पशु पाले जाते हैं. यही वजह है कि बीते साल भारत में दूध का उत्पादन 230.58 मिलियन टन हुआ है. उसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है और आने वाले कुछ सालों में इसमें जबरदस्त इजाफा देखने को मिल सकता है.
सबसे बड़ा उत्पादक बना रहेगा
भारत आने वाले कई साल तक दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना रहेगा. कल दूध उत्पादन का गरीब 50 फ़ीसदी उत्पादन दक्षिण भारत के राज्यों में होता है. अकेले आंध्र प्रदेश का दूध उत्पादन में योगदान करीब 8 फीसदी का है. इसमें ज्यादातर श्रम योगदान महिलाएं देती हैं. करीब 80 मिलियन किसान अपनी आजीविका के लिए आज भी डेयरी को सेक्टर पर निर्भर हैं. खेती के साथ ही डेयरी भारतीय ग्रामीण व्यवस्था की रीढ़ बनी हुई है.
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