नई दिल्ली. मथुरा जिले के फरह स्थित केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिक बकरी पालन विषय पर 107वें राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. जहां बकरी पालन के फायदे, बकरी पालन करके दूध से होने वाले फायदे और इसके गुण आदि के बारे में बकरी पालकों को अहम जानकारियों से रूबरू कराया गया. प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ पूर्व आईपीएस एवं उपाध्यक्ष ब्रज तीर्थ विकास परिषद उत्तर प्रदेश शैलजाकांत मिश्रा ने किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि बकरी पालन एक बेहतरीन व्यवसाय है. साथ ही उन्होंने ट्रेनिंग कैंप में भाग ले रहे युवाओं को समय का सदुपयोग करने एवं स्वावलंबन से स्वाभिमान के साथ न्याय प्रिय विषय पर रोचक उदाहरण के साथ प्रोत्साहित किया. वहीं बकरी के दूध में पाए जाने वाले औषधीय गुणों की चर्चा की.
बकरी पालन व्यवसाय को अपना रहे हैं युवा
संस्थान के निदेशक डॉ. मनीष कुमार चेटली ने संस्थान द्वारा बकरी पालकों के समग्र विकास हेतु किए जा रहे कार्यों की जानकारी प्रदान की और उन्होंने बताया की इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में शिक्षित नवयुवक पूरे देश से सहभागिता कर रहे हैं और बकरी पालन को एक व्यवसाय के रूप में अपना रहे हैं. प्रसार शिक्षा एवं सामाजिक अर्थशास्त्र अनुभाग के प्रभारी डॉ अनुपम कृष्ण दीक्षित ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुति की और बकरी पलकों से इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को पूरे मनोयोग से पूर्ण करने का आहृवान किया.
एग्रोफोरेस्ट्री को बढ़ाने की जरूरत
डॉ. खुशियाल सिंह नोडल अधिकारी, प्रशिक्षण ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सभी को इस कार्यक्रम में शामिल होने पर बधाई दी. कार्यक्रम की समाप्ति के बाद मुख्य अतिथि शैलजा कांत मिश्रा ने पशु प्रक्षेत्रों का भ्रमण किया और बकरियों की विभिन्न नस्लों और उनकी उत्पादकता पर वैज्ञानिकों से चर्चा की उन्होंने बकरी पालन को एक प्राकृतिक प्रबंधन के अंतर्गत पालने की बात की एवं चरागाहों और एग्रोफोरेस्ट्री को बढ़ाने पर बल दिया. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के 12 राज्यो से आए 102 प्रशिक्षणर्थियों ने भाग लिया.
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