नई दिल्ली. राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत ने जैसलमेर में गौवंश में होने वाले कर्रा रोग के संबंध में जिला स्तरीय अधिकारियों, पशुपालन विभाग के कर्मचारियों एवं अधिकारियों के साथ बैठक की. इस अवसर पर उपस्थित समस्त अधिकारियों को रोग की प्रभावी रोकथाम, संक्रमित पशुओं के समुचित उपचार, तथा व्यापक जन-जागरूकता अभियान संचालित करने हेतु विस्तृत दिशा-निर्देश दिए. साथ ही यह भी स्पष्ट निर्देश दिए गए कि यदि किसी भी गौवंश की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु होती है, तो उसी दिन वैज्ञानिक विधि से गहरा गड्ढा खोदकर विधिवत रूप से दफनाया जाए ताकि संक्रमण का प्रसार न हो सके.
मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार द्वारा रोग के नियंत्रण एवं रोकथाम के लिए जनहित में जिला स्तर पर समर्पित नियंत्रण कक्ष (कंट्रोल रूम) स्थापित किया गया है. इस इमरजेंसी नंबर 02992-252541 भी जारी किया. जिस पर जरूरत पड़ने पर मदद ली जा सकती है.
बीमारी के लक्षण के बारे में जानें यहां
बताते चलें कि पशुओं में होने वाली कर्रा बीमारी से दुधारु गायों की मौत हो चुकी है. जबकि ये अन्य पशुओं पर भी असर करती है. इस बीमारी कुछ ऐसा हो रहा है कि गाय के आगे के पैर जकड़ जा रहे हैं और फिर गाय चलना बंद कर कर देती गायों के मुंह से लार टपकती है और चारा खाना व पानी पीना भी बंद कर देने से वो बेहद कमजोर हो जाती है और फिर पशु की 4 से 5 दिन में मौत हो जा रही है. गंभीर बात ये है कि इस बीमारी का कोई इलाज भी नहीं है.
कैसे बचाव किया जा सकता है
एक्सपर्ट कहते हैं कि कर्रा रोग से बचाव तरीका ये है कि पशुपालक अपने दुधारू पशुओं को घर में बांध कर रखें. मृत पशुओं के शवों का निस्तारण वैज्ञानिक विधि से गड्डा खोद कर दफना कर किया जाए. एवं ग्राम पंचायत के सहयोग से गांव से 2-3 किमी की दूरी पर चार दीवारी बना कर बंद बाड़े में मृत पशुओं के शवों को डालें. वहीं मिक्सर पाउडर को ले जाकर दुधारू पशु को प्रतिदिन 50 ग्राम पाउडर व नमक दाने के साथ नियमित रुप से खिलाएं. कर्रा रोग से बचाव के लिए ये बचाव ही उपचार है, इसकी पालना जरुर करें.
राजस्थान के इन शहरों में कहर
गौरतलब है कि पिछले साल मई के महीने में जैसलमेर के सांवता, भैंसड़ा, बैतीणा, लाला, कराड़ा, नया कराड़ा, भोपा, भीखसर, रासला, मुलाना, चांधन, लाठी, मेहराजोत क्षेत्र में कर्रा बीमारी की वजह से पशुओं की मौत हुई थी. तब कर्रा रोग गायों में तेजी से फैला था. पशुपालक हाथ मलते रह गए थे. वो गायों को बचा नहीं पा रहे थे, जिससे उन्हें बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ गया था. यही वजह है कि इस बार सरकार पहले से अलर्ट है.
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