नई दिल्ली. दुनिया के गर्म क्षेत्रों में अधिकांश डेयरी पशुओं में गर्मी तनाव को कम करने के लिए कुछ सुविधाएं विकसित की गई हैं. गर्मी तनाव को देखते हुए गोपशु को काफी दिक्कत होी है. आवास में गोपशुओं को रखकर भी गर्मी तनाव को कम किया जा सकता है. पर्यावरण कक्ष में दुधारू गायों पर रिसर्च के विश्लेष्ण से यह अनुमान लगाया गया कि जब तापमान आर्द्रता सूचकांक 65 या उससे अधिक होता है, तब गायें गर्मी का अनुभव करती हैं. उनमें भूख में कमी हो जाती है तथा जिसके कारण दूध उत्पादन में गिरावट पाई गई. जब तापमान आर्द्रता सूचकांक 80 तक पहुंच जाए तब गायों पर शीतलन प्रणाली का प्रयोग शुरू कर देना चाहिए.
गर्मी तनाव की ज्यादती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, तापमान की आर्द्रता पर छाया, हवा का सुचारू रूप से आदान-प्रदान वेंटिलेशन और शीतलन प्रणाली की ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है. गर्मी तनाव के दौरान तापमान आर्द्रता सूचकांक की तुलना में गुदा तापमान 102.2 डिग्री फारेनाइट है तो गायों में कम दुग्ध उत्पादन और प्रजनन क्षमता में गिरावट के खतरे बढ जाते है. गायों के शरीर का तापमान मापना बहुत ही आसान होता है.
इस तरह चेक करें तामपान
व्यावसायिक रूप से गुदा तापमान थर्मामीटर उपलब्ध हैं. जिसके माध्यम से गायों का शरीर का तापमान दोपहर में 3.00 बजे से 5.00 बजे के बीच के समय मापना लगाना चाहिए, क्योंकि इस समय गार्यों का शारीरिक तापमान सबसे अधिक होता है. थर्मामीटर को मलाशय में पूरे एक मिनट के लिए और तापमान स्थिर होने तक इंतजार करना चाहिए. इसी समय पर सांस लेने की गति को भी मापा जाना चाहिए. जैसे 30 सेकेंड के लिए सांस गति को गिनकर उसे 2 से गुणा कर देते हैं, यदि श्वसन दर 1 मिनट में 60 से ज्यादा है तो इससे पता चलता है कि गाय गमी तनाव में है.
गर्मी में गाभिन गायों के साथ क्या होता है
वातावरणीय अधिक तापक्रम आवरी में विकसित होने वाले अंडाणुओं के विकास को विपरीत रूप से प्रभावित करता है. ओवरी से अंडो के निकलने के बाद वातावरण का अधिक तापक्रम अंडाणुओं की अंडाजनन व सामान्य आकृति को नुकसान पहुंचाता है. शुरू के दिनों में भ्रूण पर भी गर्मी तनाव का विपरीत प्रभाव पड़ता है, जो कि लगभग पशु गर्भधारण के 3 दिन बाद तक रहता है जिसके बाद भ्रूण पर मां की गर्मी का अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है.
Leave a comment