नई दिल्ली. निदेशालय प्रसार शिक्षा राजुवास बीकानेर एवं निदेशालय गोपालन राजस्थान जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में पंजीकृत गौशालाओं के प्रबंधकों एवं डेयरी संचालकों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम गुरुवार को शुरू हो गया है. कार्यक्रम के पहले दिन कुलपति प्रो. सतीश के गर्ग ने कहा कि राज्य सरकार ने गौसंरक्षण एवं गौसंर्वधन को हमेशा को प्राथमिकता दी है. अब इसकी जरूरत भी है. गौशालाओं को उन्नत वैज्ञानिक प्रशिक्षणए गौउत्पादों के मूल्य संवर्धन एवं गौशालाओं को मिलने वाले अनुदान में बढ़ोतरी करके इनको स्वावलम्बी बनाने की जरूरत है.
उत्पादन कम होने गायों को छोड़ देते हैं
कार्यक्रम में मौजूद निदेशक प्रसार शिक्षा प्रो. राजेश कुमार धूड़िया ने कहा कि गौपालन कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का मूख्य आधार है. अक्सर देखा गया है कि पशुपालक गायों से दूध का उत्पादन न होने पर छोड़ देते है या फिर गौशालाओं को दे देते हैं. इस स्थिति के लिए गौशालाओं को स्वावलम्बी बनाने की जरूरत है. गायों के गोबर का प्रसंस्करण कर इसकी उपयोगिता बढ़ाई जा सकती है जो कि आर्थिक उन्नति का आधार वन सकता है. अध्यक्ष गौग्राम सेवा संघ सुरजमल सिंह निमराना ने कहा कि गोपालकों के वैज्ञानिक विधि से प्रशिक्षण से उन्नत गोपालन हेतु मार्ग प्रशस्त होगा. इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण में संभाग के बीकानेर चूरूए श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों के गौशाला संचालक एवं प्रबंधक हिस्सा ले रहे हैं.
इन विषयों पर हो रहा है व्याख्यान
जहां उन्हें विषय विशेषज उन्नत गौशाला प्रबंधन, देशी गौवंश एवं संरक्षण, देशी गौवंश स्वच्छता एवं आवास प्रबंधन, संतुलित आहार, वर्षभर हराचारा, वर्मी कम्पोस्ट, गोबर का मूल्य संवर्धन, अजोला, हाईड्रोपोनिक्सए राज्य सरकार की डेयरी फार्म योजनाएं, गौनस्ल सुधार, पंचगव्य का महत्व आदि विषयों पर व्याख्यान देंगे. इसके साथ-साथ आदर्श गौशाला एवं डेयरी भ्रमण करवाया जायेगा. सह समन्वयक डॉ. मनोहर व डॉ. संजय सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया.
विद्यार्थियों के रोजगार संभावनाओं पर प्रेरक व्याख्यान दिया
वहीं पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालयए बीकानेर में गुरुवार को विद्यार्थियों हेतु प्रेरक व्याख्यान का भी आयोजन किया गया. अमेरिका प्रवासी प्रो. भानु पी चौधरी प्रख्यात वैज्ञानिक एवं एल्यूमिनाई ने वेटरनरी क्षेत्र में विद्यार्थियों के रोजगार संभावनाओं विषयों पर एक प्रेरक व्याख्यान दिया. उन्होंने कहा कि वेटरनरी विद्यार्थियों हेतु रोजगार की अपार संभावनाएं हैं. विद्यार्थी डिग्री काल में नियमित पाठ्यक्रमों के साथ-साथ लघु सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम भी हासिल कर सकते है. जिससे वाइल्डलाईफए फार्मास्युटिकलए क्वाहलटी कंट्रोल आदि शामिल है. विद्यार्थियों के मल्टी स्किल डवलपमेंट से उनके उद्यमशीलता क्षमता का विकास कर सकते हैं.
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