नई दिल्ली. आमतौर पर डेयरी मवेशी बीमारियों से बहुत परेशान रहते हैं. इसलिए कहा जाता है कि पशुपालन करने वाले किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या बेमौसम होने वाली बारिश में वाली बीमारी है. खासतौर दुधारू पशुओं को कई बार ऐसी बीमारियां लग जाती हैं, जिसकी वजह से उनकी मौत हो जाती है. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पशु पालक को कितना बड़ा नुकसान होता होगा. इस सीजन में खासतौर से लंगड़ा बुखार भी इस तरह की एक बीमारी है जो पशुओं को बे मौसम बारिश की वजह से होती है. ये बीमारी बहुत ही खतरनाक और जानलेवा होती है.
लंगड़ा बुखार की बात करें तो यह बे मौसम होने वाली बीमारी है. बारिश के दिनों में मिट्टी के जरिए होती है. इस रोग के पीछे का कारण मिट्टी में पैदा होने वाला जीवाणु है. इस संक्रमण को क्लोस्ट्रीडियम चौवाई कहा जाता है. खतरनाक बात ये है कि ये काफी वक्त तक मिट्टी में जिंदा रह सकते हैं और गीली मिट्टी की वजह से पशुओं में किसी भी घाव के जरिए फैलते हैं. आमतौर पर ये रोग 6 से 24 महीने की उम्र के मवेशियों में होता है.
इस में ज्यादा होती है बीमारी
ये गायों में होने वाली बैक्टीरियल बीमारी है, जिसमें मांसपेशियों में हवा भरने के साथ-साथ सूजन हो जाती है.
भैंस इस बीमारी से बहुत कम ग्रस्त होती है.
इस रोग के मुख्य स्रोत दूषित चारागाह होते हैं.
आमतौर पर इस रोग से 6 माह से 2 साल के स्वस्थ पशु ज्यादातर प्रभावित होते हैं.
क्या हैं इस बीमारी के लक्षण
अचानक तेज बुखार 107-108 फार्रेनहाइट और पशु खाना और जुगाली छोड़ देता है.
पशुओं को दर्द होती है. कमर में सूजन और कूल्हे में विकसित होने से लंगड़ापन आता है. कभी-कभी सूजन कंधे, छाती और गले तक फैल जाता है.
सूजन वाली जगह को दवानेपर गैस जमा होने के कारण चर बर की आवाज आती है.
लक्षण उभरने के 24-28 घंटे के भीतर पशु मर जाता है. मृत्यु के तुरंत पहले सूजन ठंडा व दर्द रहता है.
इसके अलावा इस बीमारी में पशुओं के पैर में सूजन भी आजाती है.
रोकथाम और उपचार
बीमारी विशेष क्षेत्र में बरसात के शुरू होने से पहले 6 माह व उससे अधिक उम्र के सभी पशुओं का टीकाकरण करवाना चाहिए. शव को दबाने के समय द्वरा पर चूना डाल देना चाहिए. संक्रमण की शुरूआती अवस्था में उपचार प्रभावी हो सकता है. फिर भी अधिकांश मामलों में उपचार फायदेमंद नहीं होता.
Leave a comment