नई दिल्ली. डेयरी पशुओं को मकचरी का भी चारा खिलाना चाहिए. मकचरी मक्के जैसी ही एक चारा फसल है. अगर पशुपालक पशु को मकचरी खिलाते हैं तो इससे दूध उत्पादन बढ़ जाएगा. वहीं पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर रहता है. उनकी प्रजनन क्षमता में सुधार होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी सही रहती है. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) का कहना है कि मकचरी को रसीला और स्वादिष्ट हरा माना जाता है. जिसके अंदर कई पोषक तत्व, जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और खनिज लवण भरपूर होता है. इससे पशु को फायदा पहुंचता है.
अगर मकचरी की खेती मक्का उगाने वाले क्षेत्रों में किया जाए तो आसानी से अच्छी फसल मिल सकती है लेकिन मक्का के विपरीत इसे अधिक वर्षा व अल्पकालीन जलभराव वाले स्थानों में भी आसानी के साथ लगाया जा सकता है.
कैसे करें खेती
मकचरी में उन्नत प्रजातियों के बारे में बात की जाए तो मकचरी इम्प्रूव्ड, देशी या स्थानीय किस्में बेहतरीन हैं.
2-3 जुताई हैरो से करके खेत को भुरभुरा करके 40-45 कि. ग्रा. बीज प्रति हैक्टेयर की दर से बुवाई करनी चाहिये. बीज को 2-2.5 सेमी गहराई पर दबाना चाहिये.
गर्मियों में हरा चारा प्राप्त करने के लिये मार्च अप्रैल तथा वर्षा ऋतु मे चारा प्राप्त करने के लिये जून-जुलाई में इसकी बुवाई करते हैं. फसल में दो कटाई भी प्राप्त की जा सकती हैं.
खाद और उर्वरक कितना डालें
बुवाई से 2-3 सप्ताह पूर्व 100-150 क्विंटल गोबर की खाद तथा बुवाई के समय 30 किग्रा नाइट्रोजन तथा 30 से 40 किग्रा प्रति हैक्टेअर फास्फोरस देना चाहिए.
30 किलो ग्राम नाइट्रोजन बुवाई के 30 दिन बाद तथा 30-40 किग्रा नाइट्रोजन यदि दो कटाई लेनी हो तो पहली कटाई के बाद देना चाहिये.
जरूरत पड़ने पर 12-15 दिन के अन्तर पर सिंचाई करनी चाहिये. दूसरी कटाई वाली फसल में वर्षा न होने पर 15-20 दिन के अन्तर पर सिंचाई करनी चाहिये.
कटाई एवं उपज के बारे में पढ़ें
फरवरी के अन्त में बोयी गई फसल मई के अन्त में कटाई के लिये तैयार होती है.
1.5-2.0 मी. ऊंचाई होने पर तथा दाना निकलने से पूर्व ही फसल काट लेनी चाहिए. इससे लगभग 600-700 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उपज प्राप्त होती है.
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