नई दिल्ली. नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (NDRI) के वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता मिली है. इस संस्थान के वैज्ञानिकों को जीनोमिक चयन में कामयाबी मिली है. एनडीआरआई के वैज्ञानिकों ने देसी साहीवाल नस्ल की गायों के जीनोमिक चयन के रिसर्च कार्य में सफलता हासिल की है. अब बेहतरीन गुणों वाले पशुओं की पहचान करने में सात साल नहीं बल्कि सिर्फ सात दिन लगेगा. वहीं पशु (बछड़ी) के जन्म के साथ ही पता चल जाएगा कि बछड़ी बड़ी होकर कितना दूध देगी. बताया जा रहा है कि इस कामयाबी से अब दूध उत्पादन भी ज्यादा मिलेगा.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एनडीआरआई निदेशक डॉ. धीर सिंह के निर्देशन में संस्थान के वैज्ञानिकों की ओर से जीनोम आधारित विकसित किए गए इस मॉडल के प्रयोग से देश में पशुओं में आनुवंशिकी सुधार की दिशा में तेजी आएगी.
कैसे मिली कामयाबी
पशु आनुवांशिक एवं प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ. विकास वोहरा ने भारतीय नस्लों व कृषि परिस्थितियों के अनुसार जीनोम स्टडी के इस मॉडल को विकसित एनडीआरआई ने साहीवाल गायों की नस्ल सुधार के लिए जीनोमिक चयन के सफल परिणाम हासिल किए हैं.
अब अच्छी नस्ल के पशुओं के चयन के लिए फीनोटाइप सेलेक्शन की जगह जीनोटाइप सेलेक्शन होगा.
जीनोम स्टडी से पशु के जन्म के साथ उसके दूध देने की आनुवांशिक क्षमता का पता चल जाएगा.
यह वैज्ञानिक उपलब्धि राज्य सरकारों व केंद्रीय एजेंसियों को इस बारे में सक्षम बनाएंगी.
एनडीआरआई के डायरेक्टर डॉ. धीर सिंह ने बताया कि उन्होंने इसमें प्रोजेक्ट इंचार्ज के तौर काम किया, जबकि उनके साथ संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. अनुपमा मुखर्जी, डॉ. रानी, डॉ. गोपाल व डॉ. राजा का योगदान रहा.
300 लीटर दूध देगी गाय
इस नई तकनीक के जरिए जिन साहीवाल नस्ल के 10 सांडों का चयन किया है. उनके सीमन के प्रयोग से पैदा होने वाली बछड़ी अपने पूरे बयांत समय में मां से 300 लीटर अधिक दूध देगी.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि संस्थान में सीमन मिलना शुरू हो गया है. अगर आप भी चाहते हैं कि ज्यादा दूध देने वाली बछड़ी मिले तो संस्थान से सीमन ले सकते हैं.
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