नई दिल्ली. दुधारू पशुओं से डेयरी फार्मिंग के काम में कमाई होती है. इसलिए नया पशु खरीदते समय दुधारू पशुओं की परख करना आना चाहिए. कृषि सहकारिता और किसान कल्याण विभाग (Department of Agriculture Cooperation and Farmers Welfare) के अनुसार दुधारू पशु का चयन करते समय उसकी सही उम्र का पता लगाना जरूरी होता है. पशु की सही उम्र का पता लगाने के लिए उसके दांतों को देखा जाता है. मुंह की निचले हिस्से में स्थाई दांतों के चार जोड़े होते हैं. ये सभी जोड़े एक साथ नहीं निकलते हैं. दांत का पहला जोड़ा पौने दो साल की उम्र में, दूसरा जोड़ा ढाई साल की उम्र में, तीसरा जोड़ा तीन साल के अंत में और चौथा जोड़ा चौथे साल के अंत की उम्र में निकलता है.
यहां पढ़ें किन बातों का ध्यान देना है
इस तरह से दांतों को देखकर नई और पुरानी गाय, भैंस की सटीक पहचान की जा सकती है.
औसतन एक गाय या फिर भैंस 20-22 वर्षों तक जीवित रहती है. गाय और भैंस की उत्पादकता उसकी उम्र के साथ-साथ घटती चली जाती है.
दुधारू पशु अपने जीवन के यौवन और मध्यकाल में अच्छा दुग्ध उत्पादन करता है.
इसलिए दुधारू पशु का चयन करते समय उसकी उम्र की सही जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है.
भैंस के सींग के छल्ले भी आयु का अनुमान लगाने में सहायक होते हैं. पहला छल्ला सींग की जड़ पर आमतौर तीन वर्ष की उम्र में बनता है.
इसके बाद हर साल एक-एक छल्ला और आता रहता है. सींग पर छल्लों की संख्या में दो जोड़कर भैंस की आयु का अनुमान लगाया जा सकता है.
अक्सर कुछ लालची लोग अधिक रुपया कमाने के चक्कर में दुधारू पशु खरीददार को धोखा देने के लिए रेती से छल्लों को रगड़ देने हैं.
इसलिए यह तरीका विश्वसनीय नहीं कहा जा सकता है. दूध देने वाले दुधारू गाय या भैंस में सींग पशु की नस्ल की पहचान का मुख्य चिन्ह होते हैं.
अगर सींग के होने या नहीं होने का पशु के दुग्ध उत्पादन की क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता है.
भैंस की मुर्रा नस्ल आज भी अपने मुड़े सौंगों के कारण ही पहचानी जाती है.
Leave a comment