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Animal Husbandry: पशुपालन के मुनाफे और नुकसान से जुड़े इन चार सवालों के जवाब पढ़ें यहां

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बाड़े में बंधी भैंस. livestockanimalnews

नई दिल्ली. पशुपालन हो या पोल्ट्री फार्मिंग इसमें फायदा तब होता है जब किसानों को इसकी मुकम्मल जानकारी होती है. इसके बिना नुकसान होने का खतरा ज्यादा होता है. कई बार ऐसा होता है कि अधूरी जानकारी से इन कामों को करने वाले लोगों के हाथ सिर्फ और सिर्फ नुकसान आता है. इसलिए इससे बचाव जरूरी है और काम की बारीकियों को सीखना भी जरूरी है, तभी मुनाफा कमाया जा सकता है और बिजनेस को और ज्यादा आगे ले जाया जा सकता है. अगर आप किसान है तो इससे आपकी इनकम बढ़ जाएगी.

इस आर्टिकल में हम आपको कुछ सवालों के जवाब देंगे. जिसके जरिए आप पशुपालन के काम में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. आइए इस बारे में जानते हैं.

प्रश्न 1. बायो सिक्योरिटी उपायों को अपनाने से पशुधन कैसे फायदा होगा?

उत्तर: बायो सिक्योरिटी के तहत विभिन्न रोगाणुओं से होने वाले संक्रमण के जोखिम एवं प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए लागू की गई सभी प्रक्रियाएं शामिल हैं. फार्म में बायो सिक्योरिटी जरूरी है.

इससे बेहतर पशुधन स्वास्थ्य और ज्यादा उत्पादन मिलेगा और आपको फायदा होगा.

उपचार पर खर्च, उत्पादन में नुकसान, पशु के बाजार रेट के नुकसान आदि से बचत होगी.

संक्रमण का जल्दी पता लगेगा. फार्म में बायो सिक्योरिटी प्रक्रियाओं के रिजल्ट में रोगों का तेजी से इलाज होगा.

पशुओं से होने वाली बीमारियों के फैलाव के जोखिम में कमी होगी.

उपभोक्ताओं की हैल्थ और कल्याण के लिए स्वस्थ और उच्चतम गुणवत्तायुक्त खाद्य उत्पादों का उत्पादन तथा उपभोक्ताओं में उत्पाद की मांग तथा डेयरी कारोबार में फायदा मिलेगा.

प्रश्न 2. फार्म में संक्रमण किन-किन जरिए से प्रवेश और प्रसार कर सकता है?

उत्तर:
फार्म में संक्रमण नये खरीदे संक्रमित पशुओं, फार्म कर्मियों, मेहमानों, उपकरणों, वाहनों, फोमाइट, आहार, पानी, हवा, फार्म के अपशिष्ट, जंगली पशुओं, पक्षियों, मक्खियों, कीड़ों, कीटों इत्यादि जैसी चीजों और पशु उत्पादों द्वारा प्रवेश प्रसार कर सकता है.

प्रश्न 3. क्या फार्म के पशुओं में रोग संक्रमण की सूचना जरूरी रूप से सरकारी अधिकारियों (पशु चिकित्सा अधिकारियों) को देनी होती है?

उत्तर: पशुओं में संक्रामक और इससे जुड़े रोगों की रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम, 2009 के तहत, पशुओं के कई रोगों (54 पशुधन तथा 14 पक्षियों के रोग) को धारा 2(0) और 38 के तहत दर्ज किया गया है. इन बीमारियों में जैसे खुरपका और मुंहपका रोग, लेप्टोस्पायरोसिस, ब्रुसेलोसिस, अफ्रीकी शूकर ज्वर, क्लासिकल शूकर बुखार आदि है. बता दें कि इन बीमारियों से पशुओं को बड़ा खतरा रहता है, जो उन्हें परेशान कर सकता है.

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