नई दिल्ली. केन्द्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि राज्यों में प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां (पैक्स) के कंप्यूटराइजेशन का कार्य चल रहा है. इसमें मध्य प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में साढे़ 5 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है जो देश के कुल उत्पादन का 9 प्रतिशत है. प्रदेश में सुशासन का दौर चल रहा है, यह सहकारिता को जीवंत करने का स्वर्णिम अवसर है. प्रदेश के किसानों के साथ केन्द्र सरकार चट्टान की तरह खड़ी है. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के साथ मिलकर कम से कम 50 प्रतिशत गांवों तक सहकारिता और डेयरी गतिविधियों का विस्तार करना जरूरी है. इसके लिए आवश्यक नीति निर्माण और प्लानिंग भी करना होगी.
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से वित्तीय सहयोग भी उपलब्ध कराया जाएगा. किसानों को दूध उत्पादन का शत-प्रतिशत फायदा पहुंचाने के लिए के लिए व्यापक स्तर पर गतिविधियां संचालित करनी होंगी. प्रदेश में दुग्ध उत्पादन और उसकी प्रोसेसिंग से विभिन्न उत्पाद निर्मित कर किसानों की आय बढ़ाने की ओर एनडीडीवी और राज्य सरकार एक साथ अग्रसर होंगे. यह रास्ता अभी टू-लेन है, जिसे 6 लेन में विस्तारित करना होगा. ये बातें शाह ने रविवार को भोपाल के रविन्द्र भवन में राज्य स्तरीय सहकारी सम्मेलन को संबोधित करने के दौरान कही. वहीं अमित शाह और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और मध्यप्रदेश डेयरी फेडरेशन के मध्य अनुबंधों का आदान प्रदान हुआ.
कई अहम बदलाव आए हैं
केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा है कि देश में कृषि, पशुपालन और सहकारिता के क्षेत्र में कार्य करने की अपार संभावनाएं हैं. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साढे़ तीन साल में सहकारिता क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. पैक्स के सशक्तिकरण, डेयरी क्षेत्र को प्रोत्साहन, उत्पादन के क्षेत्र में सहकारिता, गतिविधियों के विस्तार, नगरीय सहकारी बैंक, जिला सहकारी बैंक और ग्रामीण बैंकों के सुचारू संचालन की व्यवस्था की ओर विशेष ध्यान दिया गया. केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने गठन के बाद सबसे पहले प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों के लिए मॉडल बायलॉज विकसित कर उन्हें राज्यों के साथ साझा किया. यह प्रसन्नता का विषय है कि संपूर्ण भारत में यह बायलॉज को लागू किया जा चुका है.
बढ़ रही है लोगों की इनकम
केंद्रीय मंत्री शाह ने मॉडल बायलॉज को अपनाने के लिए सभी राज्यों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस कदम से सहकारिता आंदोलन को नया जीवन प्राप्त हुआ है. सहकारी समितियां अब पेट्रोल पम्प व गैस एजेंसी संचालन, रेल्वे टिकट बुकिंग, बिल जमा करने जैसी गतिविधियां भी संचालित कर रही हैं. एक समय था जब पैक्स केवल कम अवधि के लिए कृषि ऋण उपलब्ध कराते थे जिसमें उन्हें केवल आधा प्रतिशत लाभ होता था. वर्तमान में पैक्स 30 से अधिक गतिविधियों में संलग्न है इससे उनकी आय भी बढ़ रही है. कहा है कि देश के विभिन्न राज्यों में सहकारिता आंदोलन धीरे-धीरे मृत प्रायः होता जा रहा था. पूरे देश में सहकारिता आंदोलन का परिदृश्य भिन्न-भिन्न था.
पीएम मोदी ने स्थापित किया मंत्रालय
छह राज्यों में सहकारिता आंदोलन गति पर पकड़ चुका है, कुछ जगह इसका सरकारीकरण हुआ, परंतु कुछ जगह इसे नुकसान भी हुआ. इस स्थिति का मूल कारण यह था कि समय के साथ कानूनों में जो बदलाव होना चाहिए थे वे नहीं हुए. संवैधानिक व्यवस्था में सहकारिता राज्यों का विषय है, बदलती परिस्थितियों के अनुरूप कानून में बदलाव नहीं किया गया और न ही कानून बनाए गए. देश की राजनीतिक- भौगोलिक स्थिति, ग्रामीण, कृषि विकास और पशुपालन के आयाम पर समग्रता में केंद्रीय स्तर पर कभी विचार नहीं किया गया. यह संभव भी नहीं था, क्योंकि केंद्रीय स्तर पर कोई सहकारिता मंत्रालय था ही नहीं आजादी के 75 साल बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्रीय स्तर पर सहकारिता मंत्रालय स्थापित किया.
सहकारिता क्षेत्र में हैं अपार संभावनाएं
केंद्रीय मंत्री श्री शाह ने कहा कि प्राथमिक सहकारी संस्थाओं को सशक्त करने के लिए त्रि-स्तरीय सहकारी व्यवस्था को सुदृढ़ करना आवश्यक है. वहीं इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्रीय मंत्री श्री अमित शाह के कुशल प्रबंधन की सराहना करते हुए कहा कि वे पारस की तरह हैं, उनके पास जो विभाग आ जाए वह “सोना” हो जाता है. उनकी उपस्थिति में हो रहे अनुबंध से प्रदेश में नई संभावनाओं के द्वार खुल रहे हैं. सहकारिता के क्षेत्र में अपार संभावनाएं विद्यमान हैं.
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