नई दिल्ली. सरकार की ओर से चलाई जा रही तमाम योजनाओं में राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) का भी संचालन किया जा रहा है. जिसके तहत दूध उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ पशुपालकों को सीधी तौर पर फायदा पहुंचाने का काम किया जा रहा है. आईए जानते हैं कि इस योजना को क्यों शुरू किया गया है और इससे कैसे सीधे तौर पर पशुपालकों को फायदा मिल रहा है. बता दें कि सरकार की ओर से योजना राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) का क्रियान्वयन किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य दूध और दूध उत्पादों की गुणवत्ता, दूध की खरीद, प्रोसेसिंग, वैल्यू एडिशन और मार्केटिंग को बढ़ाना है.
यह योजना 19,010 डेयरी सहकारी समितियों के गठन, फिर शुरू करने, डेयरी सहकारी समितियों से 18.17 लाख नए किसानों को जोड़ने और 27.93 लाख लीटर प्रतिदिन दूध प्रोसेसिंग क्षमता के सृजन में मददगार साबित हो रही है.
1.5 लाख किसान सदस्य जोड़े जाएंगे
बता दें कि पशुपालन और डेयरी विभाग किसानों की संगठित बाजारों तक पहुंच बढ़ाकर, दूध प्रोसेसिंग सुविधाओं और मार्केटिंग स्ट्रक्चर को अपग्रेड करके तथा उत्पादक स्वामित्व वाले संस्थानों के क्षमता विकास को बढ़ाकर दूध और डेयरी उत्पादों की बिक्री बढ़ाने पर ध्यान क्रेंदित करता है. अब तक 1343.00 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत के साथ 35 परियोजनाओं को अनुमोदन दिया गया है. परियोजना के खत्म होने तक 10 हजार नए डीसीएस सृजित होंगे, लगभग 1.5 लाख किसान सदस्य जोड़े जाएंगे और प्रतिदिन 14.20 लाख लीटर दूध खरीदा जाएगा.
37 परियोजनाओं को मिली है मंजूरी
डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि (डीआईडीएफ) के तहत 12 राज्यों की 37 परियोजनाओं को संस्वीकृति दी गई है. जिनकी कुल परियोजना लागत 6777 करोड़ रुपये है और अब तक प्रतिदिन 73.95 लाख लीटर दूध प्रोसेसिंग क्षमता सृजित की गई है. डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (एसडीसीएफपीओ) को सहायता योजना पात्र भागीदार एजेंसियों (पीए) द्वारा बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिए गए कार्यशील पूंजीगत ऋण पर 2 फीसदी प्रति वर्ष की ब्याज सबवेंशन प्रदान करती है.
कई योजनाएं चला रही है सरकार
सरकार की पूरी कोशिश है कि किसी भी तरह से किसानों को पशुपालन के लिए प्रेरित किया जाए ताकि किसान पशुपालन के काम से जुड़कर अपनी इनकम डबल कर सकें. इसका एक फायदा यह भी है कि भारत दूध उत्पादन के मामले में लगातार अपनी स्थिति में और सुधार कर पाएगा. जबकि देश में जरूरत के मुताबिक दूध उत्पादन की पूर्ति करने में दिक्कत नहीं आएगी. वहीं किसानों के पास इनकम का एक और जरिया होगा. जिससे उन्हें सीधे तौर पर फायदा मिलेगा और हजारों करोड़ों रुपए खर्च करके पशुपालन और डेयरी फार्मिंग बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है.
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