नई दिल्ली. पशुओं पर बिना वेटरनरी डॉक्टर की सलाह के ऑक्सीटोसिन इजेक्शन लगाया जा रहा है. ये न सिर्फ अपराध है बल्कि पशुओं की सेहत के साथ खिलवाड़ करने वाला भी काम है. इसलिए इस इंजेक्शन का इस्तेमाल न करने की सलाह एक्सपर्ट की ओर से दी जाती है. एक्सपर्ट का कहना है कि ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल पशुपालकों को खुद से नहीं करना चाहिए, नहीं तो वो अपना खुद ही नुकसान कर लेंगे. जब पशु चिकित्सक कहे और उनके द्वारा ही ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन पशु को लगाना चाहिए.
बताते चलें कि दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए बहुत से पशुपालक धड़ल्ले से ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन पशुओं को लगा देते हैं. ये वक्ती तौर पर फायदा कर भी जाता है लेकिन बाद में इसका बड़ा नुकसान पशुपालक भाइयों को उठाना पड़ता है. इसलिए इस इंजेक्शन को लगाने से पहरेज करना चाहिए. इस संबंध में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग बिहार की ओर से एडवाइजरी जारी की गई है. जिसमें ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन के इस्तेमाल को लेकर चेतावनी और सलाह दोनों दी गई है. कहा गया है कि पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि वे स्वयं ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का उपयोग अपने दुधारू पशुओं पर न करें. विशेष परिस्थिति में योग्य पशु चिकित्सक के द्वारा ही इस इंजेक्शन का उपयरेग किया जाए. आइए इस बारे में डिटेल से जानते हैं.
पशुपालकों जरूरी सलाह यहां पढ़ें
- एक्सपर्ट कहते हैं कि ऑक्सीटोसिन हार्मोन का मुख्य कार्य पशुओं के प्रसव के समय गर्भाशय को संकुचित नवजात को बाहर आने में मदद करना है. इसका दूसरा मुख्य कार्य पशुओं के दुग्ध ग्रंथियों को उत्तेजित कर दूध स्रावित करना है.
- कुछ व्यवसायिक प्रवृति के पशुपालकों के द्वारा दुधारू पशुओं में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग किया जाता है. इस प्रकार अप्राकृतिक ढंग से दूध उतारने से दुधारू पशुओं में दवा की आदत हो सकती है, जिसकी वजह से उन्हें भविष्य में सामान्य रूप में दूध देने में कठिनाई हो जाती है.
- कृत्रिम ऑक्सीटोसिन के उपयोग के कारण पशुओं में हार्मोनल असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. अगर पशुओं में हार्मोनल असंतुलन हो गया तो फिर पशु के प्रजनन क्षमता, विकास और व्यवहार में बदलाव हो सकता है.
- Prevention to Cruelty to Animal Act, 1960 के section 12 और IPC की धारा 429 के तहत पशुओं में ऑक्सीटोसिन का उपयोग दण्डनीय अपराध है।
- Food and Drug adulteration Prevention Act, 1940 द्वारा ऑक्सीटोसिन को Schedule ‘H’ Drug में रखा गया है, जिसके अनुसार पशु चिकित्सक के परामर्श के बिना पशुओं में इसके उपयोग पर रोक है.
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