नई दिल्ली. पशुओं का आवास पशुपालन में एक ऐसी चीज है, जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है. इसलिए जरूरी है कि आवास पर ज्यादा ध्यान दिया जाए. आवास बनाने में कोताही न बरती जाए और पशुओं जहां बहुत ही आराम से रह सकें, वैसा ही आवास बनाना चाहिए. ताकि पशुओं को रहने में कोई दिक्कत न हो. इस आर्टिकल में हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि पशु का अवास बनाने में किन जरूरी बातों का ख्याल रखना चाहिए, ताकि पशुओं के उत्पादन पर कोई असर न पड़े. आइए इस बारे में डिटेल से जानते हैं.
एक्सपर्ट का कहना है कि डेयरी पशुओं के लिए आवास व आश्रय का मुख्य उद्देश्य पशुओं के बेहतर विकास, बेहतर प्रजनन और उत्पादन के लिए अनूकूल वातावरण प्रदान करना है. ग्रामीण क्षेत्र में लगभग 80 प्रतिशत से भी अधिक पशुपालक अपने घर में पशुओं को रखना पसन्द करते हैं. इससे उनकी देखभाल आसान रहती है.
आवास व्यवस्था में ध्यान देने वाली बातें
पशु आवास का निर्माण कुल पशुओं की संख्या, उम्र और अवस्था पर निर्भर करता है.
पशु घर के लिए ऐसी जगह का चुनाव करना चाहिए जो उपजाऊ हो, प्रदूषण रहित हो.
आसपास के क्षेत्र में बाढ़ आदि की संभावना न हो, पीने के लिए स्वच्छ पानी उपलब्ध हो.
पशु आवास की दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर हो जिससे अधिक धूप दक्षिण भाग में पड़े.
पशु घर में प्रत्येक गाय/भैंस के लिए कम से कम 5.5 फीट चौड़ी और 10 फीट लंबी पक्की जगह होनी चाहिए.
पशु आवास की सतह खुरदरा कॉक्रीट का होना चाहिए. ताकि पशु फिसले न.
नाली की ओर ढलान होना चाहिए ताकि पशु के रखने का स्थान स्वच्छ रह सके और वहां कीटाणु न पनपे.
पशु आवास की छत कम से कम 10 फीट ऊंची होनी चाहिए पशु घर तीन तरफ से खुला होना चाहिए
सिर्फ पश्चिम दिशा में दीवार होनी चाहिए. हर पशु के छत की ऊंचाई पर 3 फीट X 1.5 फीट के खुले रोशनदान होने चाहिए.
सर्दी में टाट द्वारा तीनों खुली दिशाओं को ढक देना चाहिए. इससे पशुओं को फायदा मिलता है.
पशु घर की पश्चिमी दीवार पर 2 फीट चौड़ा और 1.5 फीट गहरा नांद बनाना चाहिए.
नांद का आधार भूमितल से 1 फीट ऊपर होना चाहिए. नांद के साथ स्वच्छ जल की व्यवस्था होना भी आवश्यक है.
पशु घर की पूर्वी दिशा में पशुओं के घूमने का क्षेत्र (फ्री लोफिंग एरिया) होना चाहिए.
पशुओं को पेड़ की छाया में सबसे अधिक आराम मिलना है. घूमने के क्षेत्र में 2-3 नीम जैसे छायादार वृक्ष लगाने चाहिए.
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