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Dairy Milk: गर्मी में दूध उत्पादन कम होने पर भी डेयरी कंपनियां करती हैं फ्रेश मिल्क की सप्लाई, जानें कैसे

हरित प्रदेश मिल्क प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन सदस्यों को बोनस का तोहफा दिया जा रहा है.
प्रतीकात्मक फोटो. livestock animal news

नई दिल्ली. गर्मियों में हमेशा ही दूध की कमी हो जाती है. गर्मियों में दूध की कमी की कई वजह है. एक तो गर्मी की वजह से हरे चारे की कमी हो जाती है. इसके चलते पशुओं को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाता है. इसके चलते दूध उत्पादन कम हो जात है. वहीं पानी की कमी और गर्मियों में पशुओं को होने वाले तनाव के कारण भी दूध उत्पादन पर असर पड़ता है. हालांकि बावजूद इसके गर्मियों में कभी भी दूध की कमी नहीं होती है और आम जनता से जितनी भी डिमांड होती है, उसे बड़ी बड़ी डेयरी कंपनियां पूरी कर देती हैं. अब आपके जेहन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिरी ये पूर्ति होती कैसे है.

दरअसल, सर्दियों में दूध की कोई कमी नहीं रहती है. जबकि उत्पादन बढ़ जाता है. ऐसे में बड़ी डेयरी कंपनियां पशुपालकों से दूध खरीदकर स्टोर कर लेती हैं ओर फिर आम जनता तक इसे पहुंचाया जाता है. हालांकि आप इस सोच में भी पड़ गए होंगे कि इतने दिनों तक दूध को किस तरह से स्टोर किया जाता है तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसके लिए फ्लश सिस्टम को अपनाया जाता है. आइए जानते हैं कि फ्लश सिस्टम क्या होता है.

18 महीने तक सुरक्षित रहता है मक्खन और मिल्क पाउडर
बता दें कि फ्लश स्टॉक हर डेयरी में काम करता है. इसके तहत डेयरी में जब भी कभी डिमांड से ज्यादा दूध जमा हो जाता है तो इस दूध का मक्खन और मिल्क पाउडर बना लिया जाता है. इसके बाद डेयरी में स्टोरेज क्वालिटी और कैपेसिटी अच्छी होने के कारण मक्खन और मिल्क पाउडर 18 महीने तक सुरक्षित रहता है. क्योंकि इसके लिए बड़े-बड़े और बेहतरीन क्वालिटी के चिलर प्लांट लगाए जाते हैं. ताकि मक्खन और मिल्क पाउडर 18 महीने तक सुरक्षित रह सकें. यहां तक की मक्खन पर एक मक्खी के बराबर दाग भी नहीं लगता है.

ये सिस्टम करता है काम
डेयरी प्लांट में चिलर प्लांट के अंदर स्टोर किए गये दूध को जब बाजार में डिमांड ज्यादा हो जाती है तो डेयरी कंपनियां इन्हें बेचने के लिए इस्तेमाल करती हैं. ऐसे वक्त फ्लश स्टॉक से शहरों को दूध की सप्लाई की जाती है. आमतौर में गर्मियों में ऐसा होता है. जब पशु दूध उत्पादन कम कर देते हैं तो बाजार में दूध की कमी हो जाती है. तब यही फ्लश स्टॉक सिस्टम के जरिए दूध की कमी को पूरा कर लिया जाता है.

इस तरह से जनता तक पहुंचता है दूध
फ्लश स्टॉक में से मक्खन और मिल्क पाउडर लेकर उन्हें मिलना पड़ता है. या मिक्सचर पहले की तरह दूध बन जाता है. अगर जब कभी दूध की सॉल्टेज होती है और फिर भी आपके पास दूध पहुंचता है तो यह समझ लीजिए की डेयरी कंपनियां इसी चिलर प्लांट में रखें स्टॉक का इस्तेमाल करके आपको दूध उपलब्ध कराती हैं. कई बार लोग यह भी कहते सुनाई देते हैं कि मिलावटी दूध सप्लाई किया जाता है लेकिन यह बात बिल्कुल गलत है चिलर प्लांट के जरिए मक्खन और मिल्क पाउडर से फिर दूध बनाया जाता है और वही लोगों तक पहुंचाया जाता है.

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Livestock Animal News

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