Home डेयरी Dairy Milk: इन हरे चारों से बढ़ाएं गर्मियों में दूध, जानें दहलनी फसलों से तैयार हे का रोल
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Dairy Milk: इन हरे चारों से बढ़ाएं गर्मियों में दूध, जानें दहलनी फसलों से तैयार हे का रोल

साहलेज हरे चारे का एक वैकल्पिक स्रोत है, जिसे किसी भी अन्य सूखे चारे, हरे चारे और पशु आहार के साथ मिश्रित करके पशुओं को खिलाया जा सकता है.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. हरे चारे में पोषक तत्वों का सबसे किफायती सोर्स भी माना जाता है. हरा चारा पशुओं के लिए बुनियादी प्राकृतिक आहार माना जाता है. हरे चारे की कमी से पशुधन की उत्पादक क्षमता प्रभावित होती है. फसल चक्रों में मौसमी बदलावों के कारण पशुओं को पूरे साल पर्यात मात्रा में हरा चारा उपलब्ध नहीं हो पाता है. खासतौर पर गर्मी के दिनों में हरे चारे की ज्यादा कमी रहती है. इन परिस्थितियों में, पशुपालकों या दुग्ध उत्पादकों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है. साइलेज में शुष्क पदार्थ की मात्रा 40 से 60 प्रतिशत तक होती है उसे हेलेज कहा जाता है. साहलेज हरे चारे का एक वैकल्पिक स्रोत है, जिसे किसी भी अन्य सूखे चारे, हरे चारे और पशु आहार के साथ मिश्रित करके पशुओं को खिलाया जा सकता है.

एक्सपर्ट का कहना है कि हरे चारे में नमी का प्रतिशत 65 से 75 होना चाहिए. साइलो गड्‌ढे में हवा नहीं होनी चाहिए. साइलो गड्‌ढे के तापमान को 30 से 38 सेंटीग्रेड करने के लिए उपयुक्त वातावरण को बढ़ावा देना चाहिए. साइलेज बनाने के लिए शीरा 3-5 प्रतिशत, नमक 1-2 प्रतिशत, अनाज के दाने 3-4 प्रतिशत, नीबू और मौसमी का छिलका आदि का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा सोडियम मेटा बाई सल्फाइट को भी मिलाया जा सकता है.

तीन प्रकार का होता है हे

‘हे’ तीन प्रकार की होती हैं. दलहनीय ‘हे’, अदलहनीय ‘हे’ एवं दोनों प्रकार की सम्मिश्रित ‘हे’. दलहनी फसलों से तैयार ‘हे’ को दलहनीय हे कहते हैं. इसकी गुणवत्ता बहुत अच्छी होती है और दुग्ध उत्पादन करने वाले पशुओं को खिलाने में विशेष महत्व है. इस ‘हे’ में अधिक पाच्य प्रोटीन पाई जाती है. यह प्रोटीन अन्य पौधों की प्रोटीन से अच्छी होती है। इसके साथ-साथ ‘हे’ में कैल्शियम, करोटीन, विटामिन डी एवं ई प्रचुर मात्रा में होती है। दलहनीय हे विभिन्न दलहनीय चारा फसलों से बनाई जाती है जैसे लूसर्न, बरसीम, लोबिया, सोयाबीन आदि.

अदलहनीय ‘हे’: यह घासों आदि से तैयार की जाती है, जो कि दलहनीय है से निम्नस्तर की है. पशु ऐसे ‘हे’ को कम मात्रा में खाते हैं. इनमें कम मात्रा में प्रोटीन, खनिज लवण एवं विटामिन्स पाए जाते हैं. अदलहनीय ‘हे’ का मुख्य लाभ यह होता है कि प्रति हेक्टर फसल उत्पादन अधिक पाया जाता है. इसके अलावा जई एवं जौ से तैयार ‘हे’ को घास के ‘हे’ से तुलना कर सकते हैं. यह ‘हे’ शर्करा में अच्छी और प्रोटीन एवं खनिजों में खराब होती है.


सम्मिश्रित ‘हे’: सम्मिश्रित ‘हे’ में दलहनीय एवं अदलहनीय दोनों प्रकार का सम्मिश्रण होता है. इनके अनुपात के आधार पर सम्मिश्रित ‘हे’ की गुणवत्ता निधारित होती है. यदि अन्न फसलों की कटाई अगेती की जाती है तो उसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है.

हे बनाते समय तत्वों का ह्रास: हे बनाते समय तत्वों का ह्रास सदैव होता है, परन्तु हे बनाने की स्थितियां आदि अनुकूल नहीं हैं तो यह ह्रास काफी अधिक होता है. हे बनाते समय शुष्क पदार्थ का 15.30%, प्रोटीन का 28%, कैरोटीन का 90% तथा ऊर्जा का 25% ह्रास होता है.

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