नई दिल्ली. पशुपालन में पशु का ख्याल ठीक उसी ढंग से करना चाहिए, जैसे लोग खुद का करते हैं. क्योंकि बदलते मौसम में पशुओं को कई बार परेशानियां हो जाती हैं. इससे पशुपालन में नुकसान होने लग जाता है. जिससे पशुपालकों को नुकसान होता है. अगर पशु बीमार हो गया तो फिर मुश्किल खड़ी हो जाएगी. पशुओं के इलाज के लिए घर से पैसा लगाना होगा. इससे पशुपालकों को डेयरी के कारोबार में नुकसान होने लग जाता है. अगर नुकसान से बचना है तो फिर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग बिहार सरकार (Animal and Fisheries Resources Department, Government of Bihar) की ओर से जारी की गई गाइडलाइंस को जरूर पढ़ लें.
लाइव स्टक न्यूज (Livestock Animal News) आपके लिए इस तरह की अहम जानकारी लेकर आता रहता है. जिससे पशुपालन के काम में आपको मुनाफा मिल सके और नुकसान न हो.
अगस्त के महीने में क्या करें
पशुओं को ज्यादा तापमान और तेज धूप से बचाने के लिए उपाय करें.
पशुओं के खुरपका-मुंहपका रोग से ग्रसित होने पर रोगग्रस्त पशुओं को अलग रखें एवं ग्रसित पशुओं की खान-पान की व्यवस्था भी अलग से करें.
खुरपका-मुंहपका रोग से ग्रस्त पशुओं के दूध को उसके बछड़ों को न पीने दें. ऐसा करने से बछड़े संक्रमित होने से बचेंगे एवं स्वस्थ रहेंगे.
गलाघोंटू (Haemorrhagic Septicaemia), जहरवात और अन्य रोग के लक्षण दिखते ही तुरंत पशु चिकित्सक से सम्पर्क करें.
भेड़, बकरियों में पीपीआर, भेड़ चेचक रोग होने की संभावना रहती है. इसलिए बचाव के लिए टीके निश्चित रूप से लगवा लें.
यदि आपके पशुओं में मुंहपका-खुरपका (Foot and Mouth Disease) रोग का प्रकोप है, तो इसे स्वस्थ पशुओं से अलग रखें.
यदि आस-पास के पशुओं से यह रोग फैल रहा है तो अपने पशुओं का सीधा संपर्क रोगी पशुओं से नहीं होने दें.
पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए खनिज मिश्रण 30-50 ग्राम प्रतिदिन दें, जिससे पशुओं में दूध उत्पादन के साथ ही शारीरिक तन्दुरूस्ती बनी रहे.
निष्कर्ष
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, पशुपालन सूचना एवं प्रसार कार्यालय की ओर से जारी की गई इन अहम जानकारियों से आप अपने पशुओं को बीमार होने से बचा सकते हैं.
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