नई दिल्ली. राजस्थान में मानसून के सक्रिय होने की संभावना बन रही है. ऐसे में प्रदेश में हैवी बारिश, ओलावृष्टि, बाढ़ और जलभराव की संभावना को देखते हुए पशुधन की सुरक्षा के लिए समय पर उचित एवं व्यापक प्रबंधन किया जाना बेहद ही जरूरी है. पशुपालन विभाग के डायरेक्टर डॉ. आनंद सेजरा ने कहा है कि प्राकृतिक बदलाव के प्रभाव से पशुधन को बचाने तथा उन्हें हैल्दी रखने के लिए प्रदेश में विभाग की सभी संस्थाओं को आवश्यक दिशानिर्देश जारी कर दिए गए हैं. ताकि पशुओं के हैल्थ को सही रखने के उनके द्वारा आवश्यक कदम उठाये जा सकें और सावधानियां बरती जा सके.
उन्होंने बताया कि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए विभाग को सभी आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं. इसके तहत राज्य एवं जिला स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्षों के गठन किए जाएंगे जो 15 जून से क्रियाशील हो जाएंगे. इसके अलावा जिला और ब्लॉक स्तर पर नोडल अधिकारियों की नियुक्ति भी की जाएगी.
अफसरों को इन कामों को करने के दिए निर्देश
डॉ. सेजरा ने बताया कि जिला और उपखंड स्तर पर रोग नियंत्रण के लिए तुरंत कार्यवाही दल का गठन कर इसकी सूचना संबंधित जिला और ब्लॉक प्रशासन को दिए जाने के निर्देश दे दिए गए हैं. हैवी बारिश, ओलावृष्टि, जलभराव आदि स्थितियों में पशुओं में संभावित रोगों की रोकथाम के लिए पशु चिकित्सा संस्थाओं में आवश्यक जीवनरक्षक दवाएं तथा कन्ज्यूमेबल्स इत्यादि की जरूरी उपलब्धता समय पर सुनिश्चित किए जाने के लिए संबंधित अधिकारियों को कहा गया है. इसी प्रकार सभी सर्वेक्षण एवं रोग निदान केंद्रों के अधिकारियों को अपने अपने कार्यक्षेत्र में पशुओं के रोगों का सर्वेक्षण और रोग निदान कार्य तत्परता से संपादित करते हुए रोग नियंत्रण कार्यों की मॉनिटरिंग करने के भी निर्देश दिए गए हैं. साथ ही बाढ़ से संभावित रोगों की रोकथाम के लिए जरूरी टीकाकरण भी समय पर पूरा कराने के निर्देश दे दिए गए हैं. जिससे पशुओं में रोगों के प्रति इम्यूनिटी बन सके और रोगों से उनका बचाव हो सके.
चारा-पानी की उपलब्धता करने को कहा
डॉ. सेजरा ने बताया कि प्रशासन एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से पशुओं के लिए सुरक्षित स्थानों की पहचान, तथा जिला प्रशासन के माध्यम से पर्याप्त चारा और पानी की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाएगी. जिससे समय पर इनकी आपूर्ति की जा सके. बारिश के मौसम में मृत पशुओं का निस्तारण एक बड़ी चुनौती होता है. सभी संस्थानों को निर्देश दिया गया है कि वे मृत पशुओं के सुरक्षित एवं वैज्ञानिक विधि से निस्तारण के लिए स्थानीय निकायों को जरूरत पड़ने पर तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराएं. साथ ही वर्षा के मौसम में पशुओं के उचित रखरखाव एवं देखरेख के लिए पशुपालकों को भी जागरूक करने के कार्यक्रम करते रहें.
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