नई दिल्ली. केंद्र सरकार पहले ही कह चुकी है कि किसानों की इनकम को दोगुना करने के लिए वो पशुपालन को बढ़ावा देने का काम कर रही है. कहीं न कहीं सरकार की इस कड़ी में की जा रही है पहल का असर दिखने लगा है. देश में कृषि अर्थव्यवस्था में पशुपालन का योगदान भी नजर आ रहा है. बता दें कि साल 2014 से यह 12.99 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक ग्रोथ से बढ़ रहा है. वहीं भाजपा के नेतृत्व वाली अन्य सरकारें भी पशुपालन को बढ़ावा देने का काम कर रही हैं. जिससे किसानों को फायदा मिल रहा है और वो आत्मनिर्भर बन रहे हैं.
मध्य प्रदेश के पशुपालन विभाग की ओर से भी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसका फायदा किसानों को मिल रहा है. 28 मई को पशुपालन विभाग की ओर से ऐसी ही एक महिला की स्टोरी शेयर की गई है, जिसने सरकारी मदद का फायदा उठाकर अपनी आजीविका चलाना शुरू कर दिया है. महिला किसान सरकारी योजना की मदद से पशुपालन का काम शुरू करके आत्मनिर्भर बन चुकी है.
हर महीने कमा रही हजारों रुपये
असल में गरीबी में अपना व परिवार का जीवन यापन करने वाली रीवा जिले की निवासी उमा मिश्रा ने ना सिर्फ हालात से लड़ना सीखा, बल्कि अपनी मेहनत और हड़ संकल्प से अपने जीवन को नई दिशा दी है. उमा मिश्रा स्वयं सहायता समूह से जुड़कर अब डेयरी व्यवसाय से खुशहाल जिंदगी जी रही हैं. उन्होंने बताया कि पति लकवाग्रस्त हैं जिससे वह कुछ काम नहीं कर पाते. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा संचालित स्वसहायता समूह से जुड़कर मैंने एक भैंस खरीदी और दूध का व्यवसाय शुरू किया. इसके बाद 2 गाय खरीदकर डेयरी को आगे बढ़ाया. मेरा व्यवसाय अब अच्छे से चल रहा है और मैं प्रतिमाह 18 हजार रुपये से अधिक की आमदनी कर रही हूं.
दूध उत्पादन बढ़ाना चाहती है एमपी सरकार
उमा ने कहा कि अब मैं आत्मनिर्भर बन चुकी हूं. मेरा परिवार भी खुशहाल है. मैं अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित भी कर रही हूं. महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उन्होंने सरकार का आभार भी व्यक्त किया. बताते चलें कि मध्य प्रदेश सरकार इसी तरह का काम करके प्रदेश में दूध उत्पादन 9 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी करना चाह रही है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि पशुपालकों, किसानों की आय बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना के तहत अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के हितग्राहियों के लिए परियोजना लागत का 33 फीसदी और सामान्य वर्ग के हितग्राहियों को परियोजना लागत का 25% अनुदान दिया जाएगा.
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