नई दिल्ली. भारत दुग्ध उत्पादन के मामले में नंबर एक पॉजिशन पर आता है. देश को दुध उत्पादन में नंवर वन पर लाने में उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे प्रदेशों की भी बहुम तहत्वपूर्ण भूमिका है. देश के कुल दूध उत्पादन 230.58 मिलियन टन में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी भैंस की 54 फीसदी है. लगातार देश में दूध उत्पादन बढ़ रहा है. बड़े दुधारू पशुओं की बात करें तो उसमें गाय-भैंसों की संख्या करोड़ों में है. उत्तर प्रदेश सरकार दुग्ध उत्पादन को और बढ़ाना चाहता है तो अपने पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही है. यही वजह है कि अब योगी सरकार पशुधन और ग्रामीण आबादी के विकास के लिए कई योजना पर काम करना चाहती है. यूपी सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए ए-हेल्प कार्यक्रम संचालन कर रही है, इसे ग्रामीण आजीविका मिशन और पशुपालन विभाग के सुयक्त प्रयास से संचालित किया जाएगा. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले प्रदेश के 25जिलों के 50 विकास खंडों में शुरू किया जाएगा. इसकी सफलता के बाद पूरे प्रदेश में शुरू होगी.इसके तहत अगले दो साल में 10 हजार पशु सखियों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा.
योगी सरकार पशु पालकों और किसानों की आय बढ़ाने के लिए ए-हेल्प कार्यक्रम संचालन कर रही है. इसे ग्रामीण आजीविका मिशन और पशुपालन विभाग के सुयक्त प्रयास से संचालित किया जा रहा है. योगी सरकार का लक्ष्य है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में दो हजार पशु सखियों को ए-हेल्प एजेंट के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा. आगामी दो सालों में इस संख्या को बढ़ाकार दस हजार एजेंट तक पहुंचाने की है. इस कार्यक्रम का मकसद सरकारी पशु चिकित्सालयों के साथ कोआर्डिनेशन बनाना है, जिससे जरूरी पशु चिकित्सा सेवाओं जैसे एथनो-वेट प्रथाओं, पशु रोगों की रोकथा, समय पर टीकाकरण, कृमिनाशक दवाएं, कत्रिम गर्भाधान, पशु बीमा आदि को ग्रामीण सतर पर ही मुहैया कराया जा सके.
दो हजार पशु सखियां होंगी प्रशिक्षित
उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की डायरेक्टर दीपा रंजन की मानें तो ग्रामीणों की आयस बढ़ाने और बेस्ट क्वालिटी के दुधारू पशुओं की संख्या बढ़ाने के लिए प्रदेश में कार्यक्रम हो रहे हैं. इसी के तहत पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले प्रदेश के 25 जिलों के 50 विकास खंडों में ए-हेल्प कार्यक्रमों का संचालन शुरू कर दिया है. योगी सरकार का लक्ष्य है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में दो हजार पशु सखियों को ए-हेल्प एजेंट के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा. आगामी दो सालों में इस संख्या को बढ़ाकार दस हजार एजेंट तक पहुंचाने की है. ए-हेल्प कार्यक्रम का मकसद पशु सखियों की आय को बढ़ावा देना है, जिससे उनकी वार्षिक आय 60,000 रुपये तक बढ़ सकती है.
ग्रामीणों की इनकम बढ़ाने में मदद करेगा ए-हेल्प प्रोग्राम
मिशन डायरेक्टर ने बताया कि बताया कि इस प्रोग्राम के तहत कवर किए गए जिलों और विकास खंडों में मिशन स्टाफ का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है. साथ ही पशु सखियों को जरूरी कौशन और ज्ञान से लैस करने के लिए ये प्रशिक्षण योजनाएं विकसित की गई हैं, जिससे वे अपनी भूमिका को प्रभावी ढंग से निभा सकें. इस कार्यक्रम से न सिर्फ पशुधन उत्पादकता और स्वास्थ्य में सुधार करेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को पशु पालन से ज्यादा से ज्यादा आर्थिक लाभ हासिल करने के लिए आवश्यक ज्ञान और संसाधनों से सशक्त बनाएगा.
लगातार बढ़ रहा डेयरी का कारोबार
अमूल के पूर्व एमडी और इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट आरएस सोढ़ी के अनुसार भारत में खान—पान के सामान का बाजार करीब 50 लाख करोड़ का है ये 2030 तक बढ़कर 170 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा. उन्होंने बताया कि इसमें अभी 50 लाख करोड़ के बाजार में सात लाख करोड़ का बाजार ऑर्गेनाइज्ड है. इसमे से भी 3.5 लाख करोड़ का बाजार अकेले डेयरी का है. अगर डेयरी की ही बात करें तो ये तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र है. 50 साल पहले दूध का उत्पादन 24 मिलियन टन था और अब 231 मिलियन टन है. गौरतलब है दूध उत्पादन में हर 25 साल में तीन गुना इजाफा होता है.
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