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Fish Farming: जून के महीने में ऐसे करें मछलियों की देखरेख, क्या करें क्या नहीं जानें यहां

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. मछली पालन एक बेहतरीन काम है लेकिन मछलियों की देखभाल करना बेहद ही जरूरी होता है. अच्छा प्रोडक्शन लेने के लिए मछली पालकों को मौसम के लिहाज से भी मछलियों का ख्याल रखना होता है. मसलन अभी गर्मी ज्यादा है और जून का महीना शुरू हो गया तो इस दौरान गर्मी के साथ-साथ वातावरण में नमी भी रहती है. इसलिए मछलियों का ख्याल अलग ढंग से करना चाहिए. इस आर्टिकल में हम आपको जून के महीने में मछलियों की कैसे देखरेख करना है, इसकी अहम जानकारी देने जा रहे हैं. इसके अलावा भी अन्य जानकारी देंगे. जिससे आपको मछली पालन के काम में काफी सहूलियत मिलेगी.

दरअसल, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार की ओर से इस बारे में जानकारी शेयर की गई कि कैसे जून माह में मछलियों का ख्याल रखना चाहिए. मछली पालकों पालकों द्वारा किन बातों का ध्यान इस दौरान देना चाहिए.

जून माह में इन बातों का दें ध्यान

  • मछली प्रजनकों का उचित देखभाल करें. भारतीय और विदेशी कार्प मछलियों का प्रजनन शुरू कर दें.
  • हैचरी या हॉपा ब्रिडिंग के प्रबंधन एवं संचालन के लिए विशेषज्ञों से समय-समय पर सलाह लेते रहना चाहिए.
  • मत्स्य बीज संचयन से पहले तालाब की तैयारी जैसे-जलीय खरपतवार की निकासी, जलीय कीटों तथा आंवाछित मछलियों का उन्मूलन कर लें.
  • हैचरियों से स्पॉन प्राप्त कर नर्सरी तालाबों में संचयन करें.
  • ग्रो आउट तालाब में इयरलिंग मत्स्य बीज संचयन (100 ग्राम का बीज) 2000 प्रति एकड़ एवं (50 ग्राम का बीज) 4000/ एकड़ की दर से तालाब तैयार कर डालें.
  • मत्स्य बीज परिवहन का काम हमेशा रात में या 10 बजे पूर्वाहन से पहले करें.
  • तालाब में मछलियों को संक्रमित होने से बचाने के लिए 30-45 दिन पर 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से पोटाशियम परमेगनेट का छिड़काव करते रहें.
  • मौसम खराब रहने यानि ज्यादा गर्मी, आद्रता वर्षा रहने पर भोजन का प्रयोग आधा कर दें.
  • ज्यादा गर्मी और उमस भरा मौसम रहने पर बारिश की संभावना रहती है, ऐसी स्थिति में तालाब में घुलनशील ऑक्सिजन की कमी हो जाती है. मछलियां तालाब के उपरी सतह पर आ कर मरने लगती हैं. ऐसे मौसम में किसान पानी में घुलनशील आक्सीजन बढ़ाने वाली दवा 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 15 दिन पर सुखा छिड़काव करें.
  • प्रजनक मछली को हैचरी में प्रजन्न के बाद 1 से 4 मिलीग्राम प्रति लीटर की दर से पोटाशियम परमेगनेट के घोल में 1 मिनट तक उपचारित कर प्रजनक तालाब में डालना चाहिए. ऐसा करने से प्रजन्न मछली में संक्रमण की संभावना कम हो जाती है.
  • तालाब के पानी के रंग अत्यधिक हरा या हल्का लाल होने पर चूना का प्रयोग बंद कर दें. इसके अलावा 800 गाम कॉपर सल्फेट या 250 ग्गाम एट्राजीन 150% w/w) का छिडकाव प्रति एकड की दर से धुप रहने पर करें.

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