नई दिल्ली. पशु के गर्भ न ठहरने के कई कारण हैं. हालांकि गर्भ न ठहरने से नुकसान पशुपालकों को ही होता है. क्योंकि जब तक पशु बच्चा नहीं देंगे दूध उत्पादन नहीं होगा. इसलिए पशुपालक चाहते हैं कि गर्भ ठहरने में कोई दिक्कत न आए. एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुओं की कई बार देखभाल ठीक ढंग से नहीं हो पाती, इसके चलते भी परेशानियां होती हैं. बच्चा पैदा होने के दौरान अगर कुछ दिक्कतें आती हैं तो फिर आने वाले समय में गर्भधारण में परेशानी आती है. इसलिए जरूरी है कि पशुपालकों को तमाम चीजों की जानकारी रहे.
एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो पशु के बच्चा पैदा करते समय उसके जननांगों में विभिन्न प्रकार के संक्रामक कीटाणु प्रभाव डाल सकते हैं. ब्यात काल के समय पशु की बच्चेदानी का मुंह खुलकर काफी बड़ा हो जाता है. इसलिए किसी भी संक्रामक रोग के कीटाणु के प्रवेश की संभावना बढ़ जाती है. खासकर जब किसी ग्वाले, मजदूर या अनजान व्यक्ति द्वारा पशु के बच्चे को खींचकर निकलवाया जाता है. जब ब्याने के बाद पशु की उचित देखभाल नहीं हो पाती तब भी अनेक रोगों का प्रकोप हो जाता है.
तुरंत पशु चिकित्सक से मिलें
अगर पशु ने ब्याने के समय से 60 से 70 दिन तक गरम होने के कोई लक्षण नहीं दिखाये हैं तो तुरन्त निकट के पशु चिकित्सक द्वारा पशु की जांच करा कर उचित इलाज कराना चाहिए. यदि पशु के बच्चा पैदा करते समय कोई समस्या / कठिनाई हो रही होती है या बच्चा बाहर नहीं आ पा रहा हो तो पशु के जननांगों के मार्ग से अनेक संक्रामक कीटाणु प्रवेश कर जाने का डर रहता है. ऐसे समय विशेष सावधानी की जरूरत होती है. इसके लिए आवश्यक साफ-सफाई रखना जरूरी होता है. किसी ग्वाले, मजदूर या किसान की सहायता लेकर पशुपालक पशु के लिए खतरा बढ़ा देते हैं क्योंकि इन लोगों को सावधानी रखने योग्य बातों के बारे में बहुत कम मालूम रहता है.
बीमार पड़ जाते हैं पशु
आमतौर पर गाय/भैंस के बच्चा पैदा होने के 10-12 घंटे के भीतर अपरा या जेर जो कि बारीक झिल्ली होती हैं, जननांग के रास्ते बाहर आ जाती है. कभी-कभी यह 24-48 घंटे या अधिक समय के बाद भी बाहर नहीं गिरती. अपने आप ना गिरने की दशा में बच्चेदानी में अनेक संक्रामक कीटाणु पहुंच जाते हैं. अपरा के सड़ने-गलने से खून के कतरे जमा होने से भी बच्चेदानी में काफी मैल व गंधदार रंगीन पानी जमा हो जाने से पशु को बुखार हो जाना, दूध कम होना, सुस्त हो जाना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं.
सफाई करना है जरूरी
यदि जेर निकालने के लिए मजदूर / किसान या ग्वाले जैसे अनजान व्यक्ति की सहायता ली जाती है तो आवश्यक सावधानी व सफाई न रखने से पशु में बीमारी बढ़ने की संभावना रहती है अतः अपरा रूक जाने पर उसे निकालने के लिए पशु चिकित्सक की सहायता व इलाज ही सबसे बढ़िया आप्शन है. कभी-कभी गर्भावस्था काल के बीच में अनेक कारणों से गर्भ बच्चेदानी में ही मर जाता है. जिससे अनेक घातक पदार्थ पशु के शरीर में फैलकर उसके जीवन को खतरे में डाल सकते हैं. ऐसा शक होने पर जल्दी से जल्दी किसी पशुचिकित्सक से जॉच कराके उचित चिकित्सा कराना आवश्यक होता है.
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