Home पशुपालन Green Fodder: इस हरे चारे से पशुओं को मिलता है जरूरी पोषक तत्व, पशुओं की हेल्थ के लिए भी है अच्छा
पशुपालन

Green Fodder: इस हरे चारे से पशुओं को मिलता है जरूरी पोषक तत्व, पशुओं की हेल्थ के लिए भी है अच्छा

green fodder livestock animal news
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. पशुओं के लिए हरा चारा बहुत ही जरूरी होता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुओं की कई जरूरतों को हरा चारा पूरा करता है. जब गर्मी आती है तो पूरे देश में हरे चारे की कमी हो जाती है. खासतौर पर उन इलाकों में जहां कम बारिश होती है. इस वजह से हरे चारे की कमी और ज्यादा हो जाती है. जिससे स्थिति बेहद ही खराब हो जाती है. हरा चारा न मिल पाने की वजह से पशुओं को जरूरी पौष्टिकता नहीं मिल पाती है. हालांकि अगर आप भी पशुपालक हैं और पशुओं के लिए सालभर हरे चारे की उपलब्धता चाहते हैं तो ग्वार चारा उगाकर इस कमी को पूरा कर सकते हैं.

क्योंकि ग्वार चारा एक हेक्टेयर में 400 क्विंटल तक उगाया जा सकता है. इसलिए इस हरे चारे को पशुओं को दिया जा सकता है. इससे पशुओं के लिए पौष्टिक चारा लिया जा सकता है. एक्सपर्ट का कहना है कि यह पशुओं की भोजन में अरुची को दूर करने में मददगार है और पशुओं की भूख को भी बढ़ाता है. इसके सेवन से मांसपेशियां मजबूत बनाती हैं ग्वार फली में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है जो सेहत के लिए बेहद ही जरूरी है. फिर देर किस बात की है. आइए जानते हैं कि इसे हरे चारे को कैसे बोया जाए. क्या है इसकी खासियत आदि.

कब करें बुवाई और कितनी मिलाएं खाद
ग्वार हर चारे को पशुपालक जुलाई और अगस्त तक किया जाता है. यही वक्त सबसे बेहतर है बुवाई करने का. जब इसकी बुवाई की जाए तो बीज की मात्रा 30 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर रखनी चाहिए. बुवाई के दौरान कतार से कतार की दूरी 30 सेमी होनी चाहिए. अब सवाल आता है कि खाद और उर्वरक कितनी डालनी है. इसके लिए बात दें कि खाद व उर्वरक के तौर पर 5 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद बुवाई के एक माह पूर्व खेत में मिलायें. नत्रजन 10 किग्रा एवम् 30 किग्रा फासफोरस प्रति हैक्टयर मिलाया जा सकता है.

400 क्विंटल मिलता है हरा चारा
इस फसल में खरपतवार आ जाता है. इसका नियंत्रण करना चाहते हैं तो खरपतवार को निराई-गुडाई से हटाया जा सकता है. सूखा जड. गलन : बुवाई पूर्व 0.2 प्रतिशत कार्बेन्डेजिम से बीजोपचार एवम् उचित फसल चक्र अपनाते हुए प्रतिरोधी किस्मों को ही उगायें. इस फसल में रोग भी लग जाता है. रोग ग्रसित पौधों को खेत से उखाड़ कर जला दें. बोर्डो मिक्सचर (5 : 5 : 50) या डाइथेन एम-45 का 0.2 प्रतिशत की दर से रोग ग्रस्त पत्तियों पर छिड़काव करें. इस फसल की एक बार कटाई की जा सकती है. चारा उपज 250-400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिलती है. बुदेल ग्वार-1, बुदेल ग्वार-3, आरजीसी-986 आदि किस्म की बुवाई की जा सकती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

live stock animal news, Survey on farmers, farmers' income, farmers' movement, MSP on crops, Chaudhary Charan Singh Agricultural University, HAU, agricultural economist Vinay Mahala, expenditure on farming.
पशुपालन

Animal Husbandry: डेयरी पशुओं की इन चार परेशानियों का घर पर ही करें इलाज, यहां पढ़ें डिटेल

वैकल्पिक दवाओं की जानकारी पशुपालकों के लिए जानना बेहद ही अहम है....