नई दिल्ली. समुंद्र और नदी से बहुत से मछुवारे मछली पकड़कर अपनी आजीविका चलाते हैं. इन मछुआरों का मुख्य काम ही ये होता है कि वो मछली पकड़कर बेचते हैं और अपना व अपने परिवार का पेट पालते हैं. हालांकि हर वर्ष एक ऐसा वक्त भी आता है जब समुंद्र और नदी में मछली पकड़ने पर पाबंदी लगा दी जाती है. इस पाबंदी के वक्त मछुओं को मछली पकड़ने की इजाजत नहीं होती है. ऐसे में सवाल उठता है कि अपनी आजीविका मछली कपड़ने से ही चलाने वाले ये मुछआरे फिर क्या करते हैं.
ऐसे में सरकार उन्हें मदद मुहैया कराती है ताकि उन्हें दिक्कतों का सामना न करना पड़े. हालांकि जिनती सरकारी मदद उन्हें मिलती है वो उनकी कमाई से कहीं कम है. खैर इस वर्ष भी मछुआरों को समुंद्र और नदी में मछली पकड़ने पर पाबंदी लगाई गई है. ये पाबंदी 61 दिनों की है. बताते चलें कि पूर्वी तट पर 15 अप्रैल से 14 जून तक कोई भी मछुआरा मछली नहीं पकड़ सकेगा. जबकि पश्चिमी तट पर भी 1 जून से 31 जुलाई तक मछली पकड़ने पर पाबंदी लगाई गई है.
कितनी मिलती है आर्थिक सहायता
बताते चलें कि एक सवाल के जवाब में क्या मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने बताया है कि मछुआरों पर 61 दिनों तक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है. एक्सपर्ट कहते हैं कि सरकार ऐसा इसलिए करती है कि क्योंकि इस वक्त मछलियां ब्रेडिंग करती हैं. अगर इस वक्त मछली पकड़ी जाएगी तो फिर मछलियों के उत्पादन पर असर पड़ेगा. बात की जाए मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रूपाला के जवाब की तो उन्होंने ये भी बताया कि मछुआरे को 4500 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है.
लाखों की करते हैं कमाई
संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश द्वारा प्रत्येक नामांकित लाभार्थी को मछली पकड़ने पर प्रतिबंध के दौरान 1500 रुपये प्रति माह की दर से ये मदद मिलती है. हालांकि सरकार की ओर से दी जा रही मदद मछुआरे कम बताते हैं. क्योंकि औसतन एक साल में एक गैरअनुभवी मछुआरा 3.41 हजार रुपये तक कमा लेता है. यानि 25 हजार रुपये महीना की कमाई हो जाती है. जबकि अनुभवी मछुआरे तो 5.50 लाख रुपये तक की इनकम कर लेते हैं. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार की ओर से की जा रही है मदद काफी कम है.
28 मिलियन मछुआरों की चलती है रोजी-रोटी
यहां आपको ये भी बताते चलें कि देश में मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र कुल 28 मिलियन मछुआरे जुड़े हैं. ये कहा जा सकता है कि 28 मिलियन लोगों की आजीविका इसी कार्य से चलती है. इनमें से 2.78 मिलियन मछुआरे पूर्णकालिक रूप से मत्स्य पालन और मत्स्य पालन से संबंधित गतिविधियों में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं. उनके पास कोई दूसरा कार्य नहीं है. वहीं इस प्रतिबंध के दौरान उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है.
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