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आंध्रा प्रदेश में झींगा पालको मिली राहत से मुश्किल में न पड़ जाए पूरे देश का झींका व्यापार, जानें क्यों

‘Need national guideline on eco-labeling of marine fishery resources’
Symbolic photo. livestock animal news

नई दिल्ली. वैैसे तो देश में आंध्रा प्रदेश झींका उत्पादन के मामले में पहले स्थान पर आता है. हालांकि इसके बाद झींगा उत्पादन के मामले में ओडिशा, पश्चिम बंगाल, गुजरात, तमिलनाडू और महाराष्ट्रा का नाम आता है. जबकि उत्तर भारत में हरियाणा, पंजाब और यूपी में झींका का उत्पादन किया जा रहा है. आंध्रा प्रदेश की अपेक्षा अलावा इन अन्य राज्यों के झींगा उत्पादन करने वालों के लिए एक बुरी खबर है. दरअसल, झींगा उत्पा़दन को लेकर आंध्रा प्रदेश सरकार ने मछली पालकों को बिजली के रेट में बड़ी सब्सिडी देने का अच्छा फैसला किया है. जबकि अन्य राज्यों में इस तरह की छूट नहीं मिलती है. ऐसे में आंध्रा प्रदेश तो आगे चला जाएगा जबकि अन्य उससे पिछड़ जाएंगे. यहां इस बात पर भी गौर किया जाना चाहिए कि अन्य प्रदेश के यहां ​बीज भी सस्ता है.

अब बात की जाए कहां कितना झींगा उत्पादन होता तो बता दें कि ओडिशा में 8 फीसदी, पश्चिसम बंगाल में 10, गुजरात 6, तमिलनाडू 4 और महाराष्ट्रा में 2 फीसदी झींगा का प्रोडक्शन होता है. जबकि इसके अलावा उत्तर भारत में पंजाब और हरियाणा में झींगा का पालन खूब किया जा रहा है. वहीं राजस्थान के चुरू तक में किसान झींगा पालन करने लगे हैं. इस संबंध में डॉ. मनोज शर्मा का कहना है कि गुजरात में करीब 28 हजार टन झींगा उत्पादन किया जा रहा है. इसमें 1900 झींगा किसान शामिल हैं. जबकि इससे गुजरात में ही करीब 1.5 लाख लोगों को रोजगार मिला है.

कितना फर्क है बिजली के रेट में

बता दें कि गुजरात के रहने वाले झींगा एक्सपर्ट और फिश के डॉ. मनोज शर्मा का कहना है कि वैसे तो देश के कुल झींगा उत्पादन में 70 फीसद हिस्सा तो आंध्रा प्रदेश का है. जबकि रेट के मामले में आंध्रा प्रदेश पहले से ही दूसरे राज्यों को प​छाड़ चुका है. अब आंध्रा प्रदेश में लागू हुए नए बिजली रेट ने दूसरे राज्यों के झींगा पालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर देगा, ये बात सौ फीसदी सच है. बता दें कि आंध्रा प्रदेश में मछली पालकों को चार रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली मिल रही थी. जबकि गुजरात में मछली पालकों को आठ रुपये यूनिट के हिसाब से बिजली मिल रही थी. जबकि आंध्रा सरकार ने मछली पालकों के लिए बिजली के रेट को कम कर दिया है. अब यहां 1.5 रुपये प्रति यूनिट बिजली दी जाएगी. जिससे झींगा पालकों को फायदा मिलेगा.

रेट में भी है फर्क आना तय

डॉ. मनोज शर्मा कहते हैं कि पहले से ही आंध्रा प्रदेश बिजली के रेट के चलते ही दूसरे राज्यों को टक्कार दे रहा था और अब रेट और कम हो जाने से वो बहुत आगे चला जाएगा. जबकि आंध्रा प्रदेश में झींगा के बीज की बहुत सारी हैचरी भी हैं. यहीं झींगा का विदेशी बीज भी मिलता है. बता दें कि इस राज्य में 30 पैसे का जो बीज मिलता है वो गुजरात में 60 पैसे का है. जबकि उत्तर भारत में यही बीज 90 पैसे से लेकर एक रुपये तक का हो जाता है. अगर फीड की बात करें तो आंध्रा प्रदेश में झींगा का जो फीड 85 रुपये किलो के हिसाब से बिकता है वहीं गुजरात में 105 रुपये किलो है.

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