नई दिल्ली. मुर्गी पालन में अच्छी कमाई हो सकती है, अगर कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए. मुर्गी पालन में दो तरह से कमाई होती है. एक तो अंडों के जरिए दूसरा मुर्गियों के मीट के जरिए. कॉमर्शियल पोल्ट्री फार्मिंग हो या फिर बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग दोनों ही तरीकों में मुर्गियों के अंडे और मीट से इनकम होती है. ये अलग बात है कि देशी मुर्गियां उन्नत नस्ल की मुर्गियों से कम अंडे देती हैं लेकिन इनके अंडे नार्मल अंडों की अपेक्षा महंगे बिकते हैं. हालांकि ये मांग पर निर्भर होता है. अंडों के बारे में जैसा कि जाना जाता है कि ये प्रोटीन का अच्छा सोर्स होते हैं. इसलिए अंडों के सेवन की सलाह भी देते हैं. आजकल मिडडेमील में भी अंडों को शामिल किया गया है.
पोल्ट्री करने वाला हर कोई चाहेगा, कि उनके फार्म में पलने वालीं मुर्गियों की ग्रोथ ज्यादा हो और वो अधिक से अधिक अंडे भी दें और पोल्ट्री फार्मिंग में अधिक मुनाफा मिल सके. अंडों के ज्यादा प्रोडक्शन कैसे हो और अंडे देने वाली मुर्गियां का मैनेजमेंट किस प्रकार करें, आइये जानते हैं यहां. इसके साथ ये भी जानते हैं कि कौन सी नस्ल की मुर्गी ऐसी है जो सबसे अधिक अंडे देती है.
ऐसे करें अंडे का मैनेजमेंट: पोल्ट्री फार्म में अच्छी नस्ल की मुर्गियां 20 सप्ताह यानी पांच महीने की उम्र में अंडे देना शुरू कर देती हैं. ये एक साल तक अंडे देती हैं. उसके बाद अंडा उत्पादन धीरे-धीरे कम हो जाता है. उन्नत नस्ल की मुर्गी के मुकाबले देसी मुर्गियां 5 माह की उम्र पर अंडा उत्पादन शुरू करती हैं. अंडा उत्पादन जल्दी बंद हो जाता है और उत्पादन कम होता है. मुर्गियों से अधिकतम अंडा प्राप्त करने के लिए मुर्गियों का उचित रख-रखाव वैज्ञानिक तकनीक द्वारा किया जाना चाहिए.
पोल्ट्री में करें ये काम: मुर्गियों के लिए अच्छा आवास का इंतजाम करें. दड़बा साफ रखें. समय-समय पर कीटाणु रहित कर सफेदी करें. सूखे बिछावन का प्रयोग करें. कम जगह पर ज्यादा मुर्गियां नहीं रखें. मुर्गियों को भौगोलिक अवस्थाओं के अनुसार गर्मी, सर्दी, हवा के झोंको तथा बरसात की सीधी बौछारों से बचाने के लिए सावधानी बरतें. गर्मी और लू से बचाव के लिये फार्म के आसपास छोटे छायादार पेड़ लगाने चाहिए. मुर्गीघर की छत पर सफेद रंग करें. या छत पर घास या धान की पुआल डाल दें. मुर्गी घर में जितनी जगह हो, उसके हिसाब से ही मुर्गी रखें.
साफ पानी का करें इंतजाम: पोल्ट्री में बहुत अधिक गर्मी के दिनों में दाने को पानी में भिगोकर देना अच्छा रहता है. साफ और ठंडा पानी हमेशा उपलब्ध रहना चाहिए. कम अंडे देने वाले पक्षी, बीमार और कमजोर के साथ ही कम वजन वाली मुर्गियों की अलग कर दें. सर्दी से बचाव के लिए मुर्गीघर की खिड़कियों पर टाट के पर्दे लगाएं. मुर्गियां बेहद संवेदनशील होती हैं, इसलिए गर्मी के मौसम में मुर्गियों का बचाव ज्यादा जरूरी है.
Leave a comment