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World Egg Day: नॉनवेज नहीं वेज हैं अंडे, एक्सपर्ट की सलाह, प्रोटीन के लिए हर रोज खाएं अंडे

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प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. आज दुनियाभर में वर्ल्ड ऐग डे मनाया जा रहा है. ये साबित हो चुका है कि अंडों को अपनी डाइट में शामिल करना हर तरह से फायदेमंद है. डॉक्टर और न्यूट्रीशियन एक्सपर्ट भी कहते हैं कि हर दिन अंडे का सेवन जरूर करना चाहिए. वहीं कोरोना काल से अब तक हर कोई अपनी इम्यूनिटी बूस्ट को लेकर सीरियस हो गया है. इस वजह से भी अंडों की अहमियत और ज्यादा बढ़ती नजर आई है. शायद यही सब कारण है कि अंडों की डिमांड बढ़ी है और इसकी बिक्री डबल हो गई है. हालांकि अभी भी कुछ चीजें हैं, जो अंडों के सफर में रुकावट का काम कर रही हैं.

जहां इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च सालभर में एक इंसान को कम से कम 180 अंडे खाने की सलाह देती है. वहीं दूसरी ओर अंडों को लेकर तमाम तरह के झूठ फैलाए जाते हैं कि जिसकी वजह से लोग अंडों का सेवन करने से बचते हैं. पोल्ट्री फेडेरेशन आफ इंडिया का कहना है कि अंडे के बारे में सबसे बड़ा झूठ तो ये फैलाया जाता है कि अंडे वेज नहीं नॉनवेज हैं. जब कि एसोसिएशन बार-बार ये कहता रहा है कि ये साबित हो चुका है कि अंडे वेज हैं और वेजेटेरियन लोग भी इसका उसी तरह से सेवन कर सकते हैं, जिस तरह से भैंस या गाय के दूध का करते हैं.

अंडों के कारोबार को लगा है झटका
पोल्ट्री कारोबारी भी मानते हैं कि अंडा वेज है या नॉनवेज इसको लेकर कारोबार को बड़ा नुकसान हुआ है. लोग इस झूठ को किस अंडा नॉनवेज है सच मानकर अंडा खाते ही नहीं हैं. इससे नुकसान होता है. जबकि पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि डॉक्टर्स भी कहते हैं कि अंडे प्रोटीन के सबसे अच्छे और सस्ते सोस हैं. क्योंकि इतने कम पैसों में इतना प्रोटीन किसी और फूड आइटम में नहीं मिलता है. पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट रनपाल डाहंडा का कहना है कि अंडा नॉनवेज नहीं वेज फूड है ये साबित करने के लिए हम किसी भी जांच के लिए तैयार हैं. किसी भी लैब में हमें बुलाया जाए वहां हम जांच करवा लेंगे. क्योंकि जिस केज में मुर्गियों को रखा जाता है वहां मुर्गा नहीं रखा जाता है. जब मुर्गा मुर्गी के संपर्क में नहीं आता तो फिर ये कहना गलत है कि अंडो में चूजा होता है. उन्होंने बताया कि भैंस भूसा और चारा खाती है इसके बाद दूध निकाला जाता है. ठीक उसी तरह मुर्गियों को फीड (दाना) दिया जाता है और वो अंडा देती हैं.

16 सौ करोड़ बढ़ी बिक्री
जबकि नेशनल एग कोआर्डिनेशन कमेटी (एनईसीसी) ये नारा देती है कि ‘संडे हो या मंडे रोज खाएं अंडे’. इसके बावजूद सोशल मडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों की वजह से अंडों के कारोबार को झटका लगता रहता है. जानकार ये कहते हैं कि इन अफवाहों की वजह से आम लोग अपना भी नुकसान करते हैं. वो अंडों को नहीं खाते हैं तो उनके शरीर को जरूरी प्रोटीन नहीं मिलता है. जबकि अंडे प्रोटीन के सबसे सस्ते सोर्स हैं. अंडों का सेवन बुजुर्ग और यहां तक की छह माह के बच्चे भी कराया जा सकता है. अफवाहों और झूठ के बीच साल 2012-13 में करीब 7 हजार करोड़ अंडों का उत्पादन हुआ था, जबकि 2022-23 में 14 हजार करोड़ अंडों का उत्पादन हुआ है. आपको बता दें कि कोरोना के बाद दो साल में ही अंडों की बिक्री 16 सौ करोड़ बढ़ चुकी है.

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