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जानिए वो कौनसी तकनीक है जिसमें देसी गाय अपने गर्भ में पालेगी साहीवाल-राठी नस्ल के बच्चे को

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सीमन और राठी गाय की प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक का प्रयोग करके अच्छी किस्म की देशी गाय तैयार की जाएंगी. इसका प्रयोग करके अच्छी नस्ल की मादा जानवर तैयार किए जा सकेंग. ये पशु दूध देने में तो अच्छे होंगे ही इनकी प्रजजन क्षमता भी बहुत भी बढ़ जाएगी. यही वजह है कि उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय में जल्द ही देशी गाय की नस्ल सुधार के लिए भ्रूण प्रत्यारोपण पर प्रयोग शुरू होने जा रहा है. इस तकनीक के बाद से देसी गायों की नस्ल में बहुत सुधार होगा. इससे दो लाभ होंगे. एक तो दूध उत्पादन क्षमता बढ़ जाएगी, दूसरा इनकी प्रजनन क्षमता में भी बढ़ोत्तरी हो जाएगी. इस तकनीक का जल्द से जल्द आने की लोगों को उम्मीद है.

उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय में राजस्थान से अच्छी गाय चिह्नित करके लेकर आईं हैं. इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य देसी गोवंश का संरक्षण करना बताया जा रहा है. विश्वविद्यालय में अच्छी नस्ल की गायों को भ्रूण प्रत्यारोपण के माध्यम से तैयार किया जाएगा. विश्वविद्यालय में इसके सफल प्रयोग के बाद इस वैज्ञानिक पद्धति से किसानों के यहां जाकर भी इस तकनीक का प्रयोग किया जाएगा. इस भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से अच्छी किस्म की देसी गाय तैयार हो सकेंगी. इस तकनीक के प्रयोग से तैयार होने वाली देशी गाय के दुग्ध उत्पादन में वृद्धि तो होगी ही दूध उत्पादन क्षमता बढ़ जाएगी और दूध की क्वालिटी में भी काफी सुधार होगा. विशेषज्ञों की मानें तो इस काम में कम से कम दो-तीन साल का समय लग जाएगा.भूर्ण प्रत्यारोपण की यह प्रक्रिया पूरी तरह इंसानों की तरह ही होगी.

साहिवाल गाय के मुकाबले ज्यादा दुग्ध दे सकेंगी
पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय में देसी गाय की नस्ल सुधार के लिए भ्रूण प्रत्यारोपण पर प्रयोग जल्द प्रारंभ होने जा रहा है. यह प्रयोग सफल होता है तो देशी गाय का बच्चा राजस्थान की साहिवाल ब्रीड की गाय के मुकाबले दुग्ध दे सकेंगी. वेटेरिनरी विश्वविद्याल में भ्रूण प्रत्यारोपण के माध्यम से देशी गाय पर जल्द प्रयोग शुरू होगा. राजस्थान की साहिवाल और राठी ब्रीड के 52 गोवंशों को विश्वविद्याल लाया गया है. भ्रूण प्रत्यारोपण के माध्यम से देशी गाय के दूध का उत्पादन और गुणवत्ता में भी सुधार होगा.

सीमन बैंक से पाई पूरे देश में प्रसिद्धि
अभी तक अपनी सीमन बैंक के माध्यम से देशभर में प्रसिद्धि पा चुके मथुरा के पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु पालन विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान अब भ्रूण प्रतारोपण की दिशा में नया कीर्तिमान स्थापित कर सकता है. कुलपति प्रो. डा. एके श्रीवास्तव के प्रयासों से विश्विद्यालय के ईटीआईवीएफ सेंटर ने ये शुरुआत की है. इसके लिए राजस्थान साहिवाल और राठी ब्रीड का 52 गोवंश वेटरिनरी विश्वविद्यालय पहुंच चुका है.

देसी गाय अपने गर्भ में ही बच्चे को पालेगी
ईटीआईवीएफ सेंटर के प्रभारी डॉ. मुकुल आनंद ने बताया कि राजस्थान से अच्छी गाय चिह्नित करके लेकर आए हैं. देसी गोवंशों का संरक्षण करना इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य है. अच्छी नस्ल की गायों को भ्रूण प्रत्यारोपण के माध्यम से तैयार करेंगे. वैज्ञानिक पद्धति से किसानों के यहां जाकर भी यह प्रयोग किया जाएगा. इससे अच्छी किस्म की देशी गाय तैयार हो सकेंगी. उन्होंने बताया कि भ्रूण प्रत्यारोपण के बाद देसी गाय अपने गर्भ में ही बच्चे को पालेगी, लेकिन उस बच्चे में मां के लक्षण नहीं आएंगे. अपने आप में यह प्रयोग अनूठा है और इसका किसानों और पशुपालकों को बड़ा लाभ मिलेगा.

वैज्ञानिकों ने शुरू कर दिया परीक्षण
वेटेरिनरी विश्वविद्यालय,मथुरा के कुलपति प्रो. डॉक्टर एके श्रीवास्तव ने बताया कि वेटेरिनरी विश्वविद्यालय में भ्रूण प्रत्यारोपण पर काम प्रारंभ कर दिया गया है. इसके लिए राजस्थान से भी गोवंश यहां मंगाया गया है. वैज्ञानिक इस प्रयोग को साकार करने में लगे हुए हैं. नस्ल सुधार के साथ-साथ यह दुग्ध उत्पादन की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयोग है.

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