नई दिल्ली. डेयरी कारोबार में अगर दूध की क्वालिटी अच्छी है तो कीमत भी अच्छी मिलती है. लोकल स्तर से लेकर बड़ी—बड़ी दूध की कंपनियां पशुपालकों से अच्छी क्वालिटी का दूध लेना चाहती हैं ताकि इस्तेमाल करने वालों को बेहतर दूध मिले. अगर दूध में फैट और एसएनएफ की कमी है तो इसे कम गुणवत्ता वाला दूध माना जाता है. इसलिए इसे बढ़ाना भी किसानों के लिए बेहद अहम है. दूध में एसएनएफ और फैट कई वजहों से कम होता है. आइए जानते हैं इसकी क्या-क्या वजह है.
कम प्रोटीन और सल्फर सेवन रूमेन फरमेंटेशन कम करता है. इसके साथ दूध वसा और एसएनएफ दोनों को भी कम करता है. कंसंट्रेट मिक्सचर या फलियां चारे के माध्यम से पर्याप्त प्रोटीन खिलाएं. कम दूध एसएनएफ मुख्य रूप से कम प्रोटीन सेवन और अपर्याप्त रूमेन बाइपास प्रोटीन सेवन के कारण होता है. दूध में जरूरी एसएनएफ प्राप्त करने के लिए उच्च उपज देने वाली डेयरी गायों के कंसंट्रेट मिक्सचर में कम से कम 50 प्रतिशत रूमेन बाइपास प्रोटीन होना चाहिए.
ये खिलाएं मिलेगा पशुओं को प्रोटीन
एक्सपर्ट के मुताबिक इसमें बिनौला, दलहन चारा, पेड़ के पत्तों को शामिल करने से गुणवत्ता वाले बाइपास प्रोटीन की आपूर्ति होगी. चारा और कंसंट्रेट खिलाने का क्रम चारा खिलाने से लार निकलती है और रूमेन में बफरिंग क्रिया होती है. दूसरी ओर चारे से पहले कंसंट्रेट खिलाने से रूमेन में स्थिति अम्लीय हो सकती है, जिसके कारण पाचन कम हो सकता है. इसलिए बेहतर रोमिनेशन, रूमेन माइक्रोबियल गतिविधि और पशु स्वास्थ्य के लिए पहले कटी हुई हरी घास खिलाकर बाद में चारा और कंसंट्रेट मिश्रण खिलाना बेहतर विकल्प है.
बरतनी चाहिए ये सावधानी
सूखे चारे का यूरिया-ऊर्जा संवर्धन यूरिया और गुड़ (यूरिया 200 ग्राम, गुड़ 400 ग्राम) 2 लीटर पानी में घोलकर 10 कि.ग्रा. सूखे चारे जैसे काटे हुए धान की पुआल/रागी की पुआल, मक्का/ज्वार की कड़वी पर छिड़काव करके अच्छे से मिश्रित करने के बाद उसे वयस्क मवेशियों को खिलाएं. इस जरूरी सूखे चारे का पोषक मूल्य लगभग मध्यम गुणवत्ता वाले हरे चारे के बराबर है और यह आप्टिमल रूमेन पाचन में सहयोग करता है. वयस्क जुगाली करने वाले पशुओं में यूरिया नाइट्रोजन स्रोत के रूप में उपयोग करते समय सावधानी बरती जानी चाहिए.
गर्मी में क्या होता है
आमतौर पर दूध वसा में सांद्रता कम होती है. ऐसा माना जाता है कि गर्मी के महीनों के दौरान दूध वसा में कमी डेयरी गायों के खाने के पैटर्न में बदलाव और हांफने से लार की बफरिंग क्षमता में कमी के परिणामस्वरूप होती है. यह भी संभव है कि गर्मी के तनाव के दौरान शरीर तापमान में वृद्धि का स्तन ग्रंथि द्वारा वसा संश्लेषण पर सीधा प्रभाव पड़ता है. इसलिए, गर्म वातावरण में दूध उत्पादन के लिए गायों को उचित रूप से ठंडा रखना महत्वपूर्ण है. इसके लिए छाया की व्यवस्था की जाए. मजबूत वेंटिलेशन और ठंडा रखने की आवश्यकता होती है. प्रतिदिन 50 ग्राम खनिज मिश्रण और 50 ग्राम बेकिंग सोडा के साथ कंसंट्रेट मिश्रण मिलाकर खिलाने से इस समस्या को हल करने में मदद मिलेगी.
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