नई दिल्ली. किसान और पशुपालक भाइयों के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है कि वह अपने पशु को कैसे स्वस्थ रखें और उनकी उत्पादकता को बढ़ाने के लिए क्या करें? ऐसे में इन चुनौतियों से पार पाने के लिए किसान भाई अक्सर कई तरह के उपाय अपनाते हैं लेकिन फिर भी बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिलती है. हालांकि कुछ ऐसे भी उपाय हैं, जिन्हें आम तौर पर पशुपालक भाई नहीं जानते हैं. जिनके इस्तेमाल करके पशुओं की हेल्थ भी अच्छी रहती है और इससे उत्पादकता भी बढ़ जाती है.
यहां हम बात कर रहे हैं काली जीरी औषधि की जो एक मसाला है लेकिन इसका इस्तेमाल खाने पीने के लिए नहीं किया जाता है. बल्कि इसका उपयोग पशुओं को कई तरह की समस्याओं से बचाने और बीमारियों से ठीक करने के लिए होता है. इसके अलावा काली जीरी के जरिए पशु की प्रोडक्शन क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता है. पशुपालक भाइयों को इस आर्टिकल में हम यही बताने वाले हैं कि काली जीरी का इस्तेमाल कब-कब किया जा सकता है. अगर काली जीरी के इस्तेमाल से जुड़ी ये अहम जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें.
पशुओं के लिए बेहद फायदेमंद है
वैसे तो काली जीरी एक मसला है और इसका खाने में इस्तेमाल नहीं होता लेकिन पशुओं के लिए काली जीरी कई तरह से फायदेमंद है. अगर पशुओं को कब्ज हो या फिर पेशाब न आने की शिकायत हो या फिर दस्त, स्किन की समस्या हो या मुंह और नाक से पानी गिरने लगे तो इन समस्याओं से पशु को ठीक करने के लिए आप काली जीरी का प्रयोग कर सकते हैं. इन सभी समस्याओं में पशु को काली जीरी खिलाने पर पशु की स्थिति बेहतर हो जाती है लेकिन ज्यादातर पशु इसे नहीं खाते. क्योंकि यह खाने में बेहद कड़वी होती है. ऐसे में पशु को गुड़ या अन्य किसी आहार या दाने के साथ काली जीरी दी जा सकती है.
क्या दूध उत्पादन भी बढ़ता है
अगर बात की जाए काली जीरी से दूध उत्पादन बढ़ाने की तो इसका सीधा असर दूध के प्रोडक्शन पर पड़ता है और ये दूध बढ़ाने का काम कर सकती है. दरअसल इसका पशु की डीवार्मिंग करने के लिए मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है. अब अगर देखा जाए तो इसे अक्सर पशु के पेट में कीड़े होने में पर दिया जाता है. क्षमता को कम करने का काम करते हैं तो इससे उनके पेट के कीड़े मर जाते हैं और पेट पूरी तरह साफ हो जाता है. जिससे पशु स्वस्थ हो जाता है और उनकी दूध उत्पादकता भी बढ़ जाती है.
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