नई दिल्ली. गर्मी के मौसम में दुधारू पशुओं को लोबिया का चारा दिया जाना चाहिए. इसका उन्हें फायदा होता है. इस चारा फसल की खासियत ये है कि यह गर्मी और खरीफ मौसम में बहुत जल्दी बढ़ जानी वाली फसल है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो इस चारा फसल को गर्मियों में दुधारू पशुओं को खिलाने का बहुत फायदा मिलता है. अगर पशुपालक चाहते हैं कि उनके पशु की दूध देने की क्षमता बढ़ जाए तो लोबिया का चारा उन्हें जरूर खिलाना चाहिए. क्योंकि इसके चारे में औसतन 15-20 प्रतिशत प्रोटीन और सूखे दानों में लगभग 20-25 प्रतिशत प्रोटीन होती है.
खास बात ये है कि इस जल्द बढ़ऩे वाली फलीदार, पौष्टिक एवं स्वादिष्ट चारे वाली फसल मानी जाती है. चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से पिछले दिनों ये बताया गया था कि हरे चारे के अलावा दलहन, हरी फली (सब्जी) व हरी खाद के रूप में अकेले अथवा मिश्रित फसल के तौर पर भी लोबिया को उगाया जाता है.
तो बढ़ जाएगी चारे की गुणवत्ता
एक्सपर्ट के मुताबिक वहीं इस हरे चारे की अधिक पैदावार के लिए इसे सिचिंत इलाकों में मई में तथा वर्षा पर निर्भर इलाकों में बरसात शुरू होते ही बीज देना चाहिए. मई में बोई गई फसल से जुलाई में इसका हरा चारा चारे की कमी वाले समय में उपलब्धता हो जाती है. अगर किसान लोबिया को ज्वार, बाजरा या मक्की के साथ 2:1 के अनुपात में लाइनों में उगाएं तो इन फसलों के चारे की गुणवता भी बढ़ जाती है.
इस किस्म की फसल है बेहतर
अगर किसान लोबिया की सी.एस. 88 किस्म, एक उत्कृष्ट किस्म है जो चारे की खेती के लिए सबसे अच्छी है. यह सीधी बढऩे वाली किस्म है जिसके पत्ते गहरे हरे रंग के तथा चौड़े होते हैं. यह किस्म विभिन्न रोगों विशेषकर पीले मौजेक विषाणु रोग के लिए प्रतिरोधी व कीटों से मुक्त है. इस किस्म की बिजाई सिंचित एवं कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में गर्मी तथा खरीफ के मौसम में की जा सकती हैत्र इसका हरा चारा लगभग 55-60 दिनों में कटाई लायक हो जाता है. इसके हरे चारे की पैदावार लगभग 140-150 क्ंिवटल प्रति एकड़ है.
काश्त के लिए दोमट मिट्टी है सबसे अच्छी
वहीं लोबिया की काश्त के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है लेकिन रेतीली मिट्टी में भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है. लोबिया की अच्छी पैदावार लेने के लिए किसानों को खेत की बढिय़ा तैयारी करनी चाहिए. इसके लिए 2-3 जुताई काफी हैं. पौधों की उचित संख्या व बढ़वार के लिए 16-20 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ उचित रहता है. पंक्ति-से-पंक्ति की दूरी 30 सैंटीमीटर रखकर पोरे अथवा ड्रिल द्वारा बिजाई करें. लेकिन जब मिश्रित फसल बोई जाए तो लोबिया के बीज की एक तिहाई मात्रा ही प्रयोग करें.
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